Bihar MLC Election: बिहार में एमएलसी चुनाव में इस बार भूमिहार, राजपूत और वैश्य समाज का दबदबा दिखा है। गुरुवार को 24 सीटों पर आए नतीजों में छह-छह सीटों पर इन्हीं तीनों जातियों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसके बाद पांच सीटों पर यादव तो एक सीट ब्राह्मण समाज के हिस्से में गई है। वहीं दलित और मुस्लिम समुदाय से कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल करने में नाकाम रहे हैं।

पार्टी का हाल- एमएलसी चुनाव की 24 सीटों में से एनडीए को सबसे ज्यादा सीटें हाथ लगी हैं। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू तीसरे नंबर पर रही है। एनडीए में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी ने जीती हैं। बीजेपी सात, जदयू पांच और एक सीट पर पशुपति पारस की पार्टी को जीत मिली है। वहीं राजद ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए छह सीटों पर कब्जा जमाया है, वहीं कांग्रेस के हिस्से एक सीट और चार सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए हैं।

कहां से कौन जीता पटना, मुंगेर, पश्चिमी चंपारण, बेगुसराय, गोपालगंज और सारण से भूमिहार समाज के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। औरंगाबाद, रोहतास, पूर्वी चंपारण, भागलपुर, सहरसा, मुजफ्फरपुर से राजपूत उम्मीदवार विजयी हुए हैं। वहीं यादव समाज के उम्मीदवारों ने वैशाली, नवादा, नालंदा, गया और मधुबनी सीट से जीत हासिल की है। भोजपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, पूर्णिया, कटिहार और सिवान से वैश्य उम्मीदवार जीते हैं। वहीं दरभंगा सीट से ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार विजयी हुए हैं।

अनंत सिंह का बदला- बिहार में छोटे सरकार ने नाम से जाने, जाने वाले बाहुबली विधायक भले ही जेल में हों, लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला उन्होंने ले लिया। लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मुंगेर से हरा दिया था, लेकिन इस बार ललन सिंह अपनी दोनों सीटें हार बैठे हैं। मुंगेर से उनके खास संजय प्रसाद चुनाव हार गए हैं और यहां से राजद उम्मीदवार अजय सिंह ने जीत हासिल की है।

वहीं पटना सीट, जिसमें एक हिस्सा मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का भी है। वहां भी राजद की जीत हुई है। यहां से अनंत सिंह ने कार्तिकेय को टिकट दिलवाया था। कहा जा रहा है कि यहां से उन्होंने जीत की गारंटी दिलाकर तेजस्वी से कार्तिकेय को टिकट दिलवाया था। जिस पटना में सरकार बैठती है, वहीं पर अनंत सिंह ने ललन सिंह के उम्मीदवारों को पटखनी देकर अपना हिसाब चुकता करते दिखे हैं।

कौन फायदे में- इस चुनाव में सबसे ज्यादा फायदे में आरजेडी रही है। गठबंधन छोड़ अकेले मैदान में उतरी आरजेडी छह सीटों पर जीती है। इस चुनाव में आरजेडी पहले सिर्फ दो सीटों पर ही थी, लेकिन अब छह सीटों पर है। हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन रहता तो शायद और फायदा हो सकता था। भाजपा 12 सीटों पर थी, जो अब सात सीटों पर है। जदयू के पास नौ थी, जीत मिली सिर्फ पांच पर। राजद के बाद कांग्रेस फायदे में रही। एक सीट पर थी और एक सीट ले आई वो भी अकेले लड़कर। दूसरी तरफ एक निर्दलीय को समर्थन किया था, उसे भी जीत मिली है।