शराबबंदी के बाद अब बिहार सरकार नशाबंदी की ओर कदम बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने खैनी को खाद्य सुरक्षा कानून-2006 के तहत लाने की सिफारिश की है। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार को पत्र लिखा है। बता दें कि तंबाकू का सेवन मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है। 2016-2017 में किए गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी का 25.9 फीसदी तंबाकू का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से कर रही है। इनमें से 20.4 फीसदी लोग खैनी खाने के शौकीन हैं। ये उनकी सेहत को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचा रही है।
राज्य सरकार के बड़े अधिकारी ने बताया कि अभी तक खैनी केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सूचीबद्ध नहीं है। खैनी विशुद्ध तंबाकू है और उसके इस्तेमाल पर कोई रोकटोक नहीं है। बता दें कि बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की खाद्य सुरक्षा इकाई ने 21 मई 2018 को आदेश जारी किया था। इस आदेश में तंबाकू और निकोटिन मिश्रित गुटका और पान मसाले को एक साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था। आदेश के तहत प्रतिबंधित पदार्थ के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर पूर्ण रोक लगाई गई है। मगर खैनी इस लिस्ट से बाहर थी।
इससे पहले बिहार की राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी जिलाधीशों और सिविल सर्जन को पत्र भेजा था। पत्र में उनसे नाबालिग बच्चों के तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगवाने के लिए कहा गया था। पत्र में यह हिदायत भी दी गई थी कि राज्य में जहां-तहां खुले तंबाकू सेवन के अड्डों को हटवाया जाए। तंबाकू के सेवन संबंधी लगे होर्डिंग, बैनर या किसी तरह की प्रचार सामग्री को फौरन हटवाया जाए। इसमें भी खैनी का कहीं उल्लेख नहीं है।
बता दें कि खैनी धुआं रहित तंबाकू है। खैनी को राज्य में धड़ल्ले से बेरोकटोक इस्तेमाल किया जा रहा है। ये लोगों की सेहत के लिए चिंता का विषय है। सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास समिति ने भी इस पर गहरी चिंता जाहिर की थी। समिति ने गुरुवार (7 जून) को स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा था। पत्र में खैनी को खाद्य पदार्थ मानते हुए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के तहत लाने की मांग की है। दिल्ली के डॉ. शशिकांत जोशी और सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार के मुताबिक खैनी एक जहर है। इससे मुंह के कैंसर होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस दिशा में जागरूकता लाने की जरूरत है।
