बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नोटबंदी की तो तारीफ की थी लेकिन उसे लागू करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया था। लगे हाथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आज उसी बेनामी संपत्ति के मकड़जाल में नीतीश कुमार के सहयोगी और उनकी सरकार के बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव घिरते नजर आ रहे हैं। 1000 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति के आरोप में लालू प्रसाद यादव के ठिकानों पर आयकर विभाग ने आज (16 मई को) सुबह-सुबह छापेमारी की। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि लालू यादव और उनका परिवार 1500 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का मालिक है।
इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि छापेमारी से एक दिन पहले नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को कहा था कि अगर आपको लगता है कि आपके आरोपों में दम है और आपके पास पुख्ता सबूत हैं तो आप कानून का दरवाजा खटखटा सकते हैं। नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर शेल कंपनियों के जरिए कथित तौर पर ‘बेनामी संपत्ति’ अर्जित करने के आरोपों पर सोमवार (15 मई) को अपनी चुप्पी तोड़ी थी और कहा था कि लगाये गये आरोप कम्पनी कानून से संबंधित हैं जो केन्द्र सरकार के दायरे में आता है।
छापेमारी के बाद लालू यादव भी तैश में दिखे। उन्होंने ट्विटर पर रिएक्शन बम फोड़ते हुए लिखा, “BJP में हिम्मत नहीं कि लालू की आवाज को दबा सके। लालू की आवाज दबाएंगे तो देशभर में करोड़ों लालू खड़े हो जाएंगे। मैं गीदड़ भभकी से डरने वाला नहीं हूं।” उन्होंने आगे लिखा, “अरे पढ़े-लिखे अनपढों, ये तो बताओ कौन से 22 ठिकानों पर छापेमारी हुई। BJP समर्थित मीडिया और उसके सहयोगी घटकों (सरकारी तोतों) से लालू नहीं डरता।” इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को नए सहयोगी (मीडिया और सीबीआई) मिलने पर मुबारकवाद भी दी है। उन्होंने लिखा, “BJP को नए Alliance partners मुबारक हो। लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं है। जबतक आख़िरी साँस है फासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ लड़ता रहूँगा।”
दरअसल, नोटबंदी लागू कर पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ संदेश दे दिया था कि काले धन पर प्रहार के साथ-साथ सरकार बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी बड़े स्तर पर कार्रवाई करनेवाली है। पीएम मोदी ने खुद अधिकारियों को बेनामी संपत्ति रखने वालों की लिस्ट तैयार करने और उनके खिलाफ कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए आयकर विभाग के अधिकारियों को खास चौकसी और एक्शन प्लान बनाने को लिए कहा गया था। उन्होंने मन की बात में भी इसका जिक्र किया था। हाल के कुछ महीनों में आय कर विभाग के अधिकारी देशभर में फैले काले कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी करते रहे हैं लेकिन राजनेताओं के ठिकानों पर हुई छापेमारी से अब सियासी जगत में खलबली है। लालू यादव को उसी कड़ी में निशाना बनाया गया है, ऐसा जान पड़ता है।
राजद समेत तमाम विपक्षी दल इस कार्रवाई को भाजपा का विरोधियों के खिलाफ उठाया गया हथकंडा बता रहे हैं। खुद लालू यादव ने भी ट्वीट कर भाजपा को नए सहयोगी (मीडिया और सरकारी जांच एजेंसियां) मिलने पर बधाई दी है। दो दिन पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी मीडिया पर तंज कसते हुए कहा था कि आप वही छापेंगे जो आपको छापना या दिखाना है, इसलिए हम कोई बयान नहीं देंगे। उधर, सोमवार को लालू यादव के उप मुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी यादव ने भी इसी अंदाज में मीडिया पर भड़ास निकाली थी कि मीडिया के लोग भाजपा समर्थित खबरें छापने या दिखाने में मशगूल हैं।
पिछले साल नवंबर में बेनामी संपत्ति कानून के प्रभावी होने से अब तक विभाग ने देशभर में ऐसे 230 मामले दर्ज किए हैं और करीब 55 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं। आयकर विभाग ने 3 मार्च को बेनामी संपत्ति संव्यवहार अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को आगाह करते हुए अखबारों में विज्ञापन छपवाकर कहा था कि उन्हें सात साल के सश्रम कारावास की सजा के साथ-साथ सामान्य आयकर अधिनियम के तहत भी आरोपी बनाया जा सकता है। सभी बड़े अखबारों में जारी विज्ञापन में आयकर विभाग ने कहा था कि ‘बेनामी संव्यवहार न करें।’ क्योंकि बेनामी संपत्ति संव्यवहार का प्रतिषेध अधिनियम-1988 एक नवंबर 2016 से ‘अब सक्रिय है।’
क्या होती है बेनामी संपत्ति?
ऐसी संपत्ति का असली मालिक कोई और होता है और उसे खरीदने वाला कोई और होता है।
इसके तहत किए गए लेनदेन या खरीदी गई संपत्ति दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री होती है और बाद में उसे ट्रांसफर कर दिया जाता है।
बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता,हालांकि वो प्रॉपर्टी पर कब्जा रखता
हाल ही में बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन हुआ
बेनामी लेनदेन पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बेनामी लेन-देन (पाबंदी) अधिनियम 1988 संसद से पास किया था। इस कानून के तहत बेनामी लेन-देन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों हो सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2015 में इस कानून में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव लाया था जिसे अगस्त 2016 में संसद ने पास कर दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इस संशोधन को हरी झंडी दे दी है।