उत्तर बिहार खासकर सीमांचल में भारतीय जनता पार्टी अपनी पैठ कैसे मजबूत करे इस पर किशनगंज में मंथन चल रहा है। बिहार भाजपा कार्यसमिति की बैठक किशनगंज के एमजीएम कॉलेज परिसर में मंगलवार शाम तीन बजे से शुरू हुई। इस इलाके में बंगलादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी भाजपा के लिए पुराना है । मगर हमेशा सिरे पर रहा है। भाजपा कार्यसमिति बैठक के संयोजक और विधान पार्षद दिलीप जायसवाल हैं। तीन दिवसीय बैठक में जिलों के अध्यक्ष, संगठन प्रभारी, प्रदेश पदाधिकारी, विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री शरीक होने किशनगंज पहुंच चुके हैं। इनके सामने मिशन 2019 लोकसभा का चुनाव भी ख़ास मुद्दा है।
दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से 31 सीटें भले ही एनडीए को मिली हों मगर सीमांचल की चारों सीट किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार पर एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं कोशी की मधेपुरा और सुपौल सीट पर भी एनडीए को शिकस्त खानी पड़ी। और तो और भागलपुर और बांका सीट भी हाथ से निकल गई। मसलन, भागलपुर और आसपास के इलाकों में भाजपा की मोदी लहर बेअसर रही। इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी लाख कोशिशों के बाद भी एनडीए को जह शिकस्त मिली तो भाजपा आलाकमान की नींद उड़ गई। उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ताबड़तोड़ सभाएं की थी। मगर वे वोटों का ध्रुवीकरण कराने में उत्तर प्रदेश की तरह कामयाब नहीं हो सके थे।
उत्तर प्रदेश चुनाव में मिली शानदार जीत और फिर दिल्ली एमसीडी चुनाव में मिली कामयाबी ने भाजपा के विजय रथ को जरूर बढ़ाया है। मगर बिहार की बात आते ही भाजपा नेताओं के चेहरे की मायूसी देखते ही बनती है। इस बीच प्रदेश नेतृत्व की बागडोर बदलकर नित्यानंद राय के हाथ में सौपी गई। ये सांसद हैं और युवा भी। हालांकि, तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्य्क्ष मंगल पांडे भी किसी मायने में कमजोर साबित नहीं थे। पर, नया चेहरा सामने लाकर नई कार्यसमिति का गठन कर 50 फीसदी नए चेहरे शामिल करने की शीर्ष नेतृत्व की अपनी अलग सोच हो सकती है। इनकी अगुवाई में कार्यसमिति की बिहार में दूसरी बैठक हो रही है। इससे पहले सिवान में हुई थी।
हालांकि, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार पर भाजपा का खासकर राजद और लालू परिवार पर हमला तेज है। सरकार में फूट डालने की कोई कोशिश ये नहीं छोड़ रहे लेकिन 2019 का लोकसभा का चुनाव पर अभी से मंथन इनके लिए खास है। कार्यसमिति की बैठक में इस पर रणनीति बनाने का भी संकेत पार्टी के नेताओं ने दिया है।
