भागलपुर रेंज के डीआईजी सुजीत कुमार ने लोगों को गौमाता और अपने माता-प‍िता की इज्‍जत करने की नसीहत दी है। खास कर, उन युवाओं को जो माता-पि‍ता का अनादर करते हैं। बता दें क‍ि आज के दौर में बड़ी संख्‍या में बुजुर्गों की ज‍िंदगी क‍िसी वृद्धाश्रम या अकेलेपन में इसल‍िए गुजरती है क्‍योंक‍ि उनके बच्‍चे उन्‍हें अपमान‍ित कर बेदखल कर चुके हैं।

सुजीत कुमार ने कहा कि समाज में नफरत के बजाय नेकी की दीवार खड़ी करनी चाहिए, ताकि वंचित और गरीब तबकों की मदद हो सके। उन्‍होंने कहा क‍ि गौ माता सात माताओं में से एक है। हम गाय को नहीं पालते, बल्कि गाय हमें पालती है। मगर कल‍ियुग में तो जन्म देने वाली माताएं ही दुर्दशा झेल रही हैं और उनकी ऐसी हालत देख उनके युवा संतानों पर तरस आता है।

डीआईजी भागलपुर की श्रीगौशाला पर 35 मिनट की बनी डॉक्यूमेंट्री का रविवार शाम उद्घाटन करने के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। डीआईजी ने कहा कि हमारा देश कृषि और ऋषि का देश है। गाय हमारी माता है। गाय के प्रति द्वापर युग के पहले से ही आकर्षण रहा है। गाय से हमें पंचगव्य की प्राप्ति होती है। दूध,दही,घी,गोबर,मूत्र। ये पांचों अमृत के समान हैं। देसी दवा में इनकी बड़ी उपयोगिता है। गाय माता-पिता के बराबर है। गाय के प्रति श्रद्धा-प्रेम जिनके मन में है उनका जीवन सुखमय है।

उन्होंने चैतन्य महाप्रभु लिखित चैतन्य अमृता के हवाले से बताया कि गाय के एक रोम को कष्ट देने वाले को उतने ही हजार साल नरक भोगना पड़ता है, लेकिन आज की युवा पीढ़ी थ्योरी और प्रैक्टिकल के द्वंद में फंसी है। हम किताबों में तो पढ़ लेते हैं कि गाय हमारी माता है। गंगा हमारी मैया है। धरती हमारी माता है। मगर उनकी रक्षा के लिए युवा वर्ग क्या कर रहा है, किसी से नहीं छुपा है।

डीआईजी सुजीत कुमार ने कहा कि गोपाल पूर्ण ब्रह्म और अवतार है। उनकी पूजा तो करते हैं, मगर उनके चरित्र को अपने जीवन में नहीं उतारते। पहले हरेक घर में गाय और ग़ांव में गौशाला होती थी। आज हम पैकेटबंद और पाउडर वाले दूध के सहारे हैं। गोपाल के मायने लोग भूल गए हैं।

डीआईजी ने यूरोप की मिसाल देते हुए बताया कि गोमांस को मुख्य भोजन मानने वाले लोगों की भी संस्कृति व विचार बदल गए हैं। अब वहां लोग शाकाहारी हो रहे हैं। व्यथित और कुंठित लोग मन की शांति के लिए गौशाला जा रहे हैं। मगर भारत में युवा अपने माता-पिता पर अत्याचार करने में संकोच नहीं कर रहे। लघु फ़िल्म में भागलपुर की गौशाला के साथ इसके तहत चलने वाली तीन गौशालाओं मोहनपुर,टिकारी,शाहकुंड की प्रगति और गाय सेवाओं को दर्शाया गया है। साथ ही इसके 131 साल की गाथा भी बताई गई है।