भागलपुर में शनिवार शाम फैले सांप्रदायिक तनाव के बाद नाथनगर इलाके में फिलहाल हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई है। हालांकि, हालात अभी भी सामान्य नहीं हो सके हैं। प्रशासन और सामाजिक संगठनों की ओर से लगातार अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की जा रही है। उधर, पुलिस ने इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की हैं। एक मामला तो बिना इजाजत जुलूस निकालने का है। वहीं, दूसरा केस उपद्रव मचाने का है। पहली मामले में आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनके नाम हैं- अरिजीत चौबे, देवकुमार पांडे, अनुपलाल साह, प्रणव साह, अभय घोष सोनू, प्रमोद शर्मा, निरंजन सिंह, संजय भट्ट। इन पर बगैर इजाजत जुलूस निकालने का आरोप है। अरिजित केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे हैं। अरिजित ने कहा कि एसएसपी को सूचना देकर जुलूस निकाला गया। यदि यह गैरकानूनी था तो पुलिस ने रोका क्यों नहीं। उनके मुताबिक, भागलपुर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई है, जिसे प्रशासन ने नाकाम कर दिया। अब ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस मामले में दूसरी एफआईआर उपद्रव मचाने वाले पांच सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ लिखी गई है। इनकी शिनाख्त कर धड़पकड़ की जा रही है। कमिश्नर, आईजी, डीआईजी, डीएम, एसएसपी, डीडीसी, एसडीओ, नगर आयुक्त जैसे अधिकारी नाथनगर में कैंप कर रहे है। बता दें कि हिंदू नव वर्ष के मौके पर निकाले गए मोटरसाइकिल जुलूस के दौरान यहां दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। इसमें कुछ पुलिसवालों समेत कई लोग घायल हो गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, उपद्रवियों के पथराव में आठ पुलिसकर्मियों समेत डेढ़ दर्जन लोगों को चोटें आईं थीं। पुलिस के एक जवान को गोली भी लगी, जिसका इलाज जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। बताया जा रहा है कि भीड़ में से कुछ लोगों ने ने गोली और बम से भी हमला किया। बता दें कि इलाके का माहौल उस वक्त बिगड़ा है, जब कुछ दिन बाद ही रामनवमी मनाई जानी है।

उधर, हिंसा की घटना में जिन 23 दुकानों के सामानों का नुकसान पहुंचा है, सोमवार को उनके मालिक अपनी शिकायत लिखवाने थाने पहुंचे। डीएम की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि उनके नुकसान का आकलन कराकर मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, रेलवे स्टेशन और नाथनगर की ओर से गुजरने वाली ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जीआरपी और आरपीएफ के जवान गश्त करते देखे गए। प्रशासन की कोशिश है कि जनजीवन जल्द से जल्द सामान्य किया जा सके। वहीं, ऐहतियात के तौर पर दफा 144 लागू है। हालात को देखते हुए 25 से बढ़ाकर 37 जगहों पर मजिस्ट्रेट के साथ सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की गई है। सोमवार को ही, पूरे जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई ताकि अफवाहों पर काबू पाया जा सके। एसएसपी मनोज कुमार ने हालात पूरी तरह काबू में बताया है। प्रशासन के आलाधिकारियों ने दोनों पक्षों के लोगों के साथ बैठक कर शांति बहाल करने की अपील की है। सोमवार को नाथनगर में सड़कों पर लोगों की आवाजाही नजर आई। लोग घरों से अपनी जरूरत का सामान खरीदने बाहर निकले। बाजार आम दिनों की तरह खुले नजर आए।

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जिस दिन से 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी के.एस. द्विवेदी को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाने का ऐलान हुआ, उसी दिन से फैसले पर सवाल उठने लगे थे। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 1989 के भागलपुर दंगों की याद दिलाते हुए द्विवेदी की नियुक्ति को कटघरे में खड़ा किया। दंगों के समय द्विवेदी भागलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे। इन दंगों में 1,000 से ज्‍यादा लोग मारे गए। राज्‍य द्वारा जांच के लिए गठित एक आयोग ने एसपी (द्विवेदी) को लेकर प्रतिकूल टिप्‍पणियां की थीं। द्विवेदी को बाद में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में क्‍लीन चिट मिली। उनकी नियुक्ति से भागलपुर दंगे की चर्चा शुरू हुई है, आइए जानते हैं कि तब आखिर हुआ क्‍या था। (Photos: Express Archive/Manoj Kumar Sinha)