डीएम प्रणब कुमार ने गुरुवार (1 मार्च) को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि भागलपुर में बड़ा हवाई अड्डे के निर्माण के वास्ते जमीन खरीदने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। मगर अभी तक कोई जवाब सरकार से नहीं मिला है। साथ ही वर्तमान हवाई अड्डे को विकसित करने की भी योजना है। मगर केंद्र सरकार की उड़ान योजना में जब तक भागलपुर शामिल नहीं किया जाता है , तबतक यहां से मुसाफिर हवाई सेवा मुश्किल दिखती है। ध्यान रहे कि भागलपुर अंग्रेजों के समय का  प्रमंडलीय मुख्यालय होने के बाबजूद हवाई सेवा से नहीं जुड़ पाया है। केंद्र सरकार ने इसे  उड़ान योजना लायक भी नहीं समझा। बिहार में हवाई सेवा के विकास और विस्तार  के मामले में भारत सरकार का उड्डयन मंत्रालय दोहरी नजर के साथ सुस्ती भी बरत रहा है। आजादी के इतने साल बाद भी  पटना के अलावे बिहार में कहीं भी यह सुविधा मुहैया नहीं है।  दरभंगा को उड़ान योजना का फायदा मिलने वाला है। मगर भागलपुर में हवाई अड्डा होने के बाबजूद उड़ान भरने को सालों से तरस रहा है। राजनैतिक स्तर और जन प्रतिनिधियों ने भरोसा देकर ठगा है। ऐसा यहां का चेंबर आफ कामर्स के सचिव संजीव कुमार शर्मा कहते है।
भागलपुर के ज़िलाधीश प्रणब कुमार बताते है कि यहां बड़े हवाई अड्डे के वास्ते दो सौ एकड़ जमीन तलाश कर स्वीकृति के लिए भेजी गई है। जो भविष्य के लिए है। मगर ऐसा भी नहीं कि वर्तमान में बना हवाई अड्डे से वायुयान नहीं उड़ सकता। दो करोड़ रुपए खर्च कर इसके रनवे को दुरुस्त कराने की योजना बनी है। साथ ही पांच लाख रुपए खर्च लाउंज को सुविधायुक्त बनाने पर होंगे। उन्होंने बताया कि यहां से फिलहाल सरकारी विमानों के अलावे बीस सीट वाले मुसाफिर  छोटे  विमान उड़ सकते है। इसका आकलन कराया गया है। मगर यह निजी हवाई सेवा कंपनियों पर निर्भर है कि वे भागलपुर से उड़ान भरवाने में कितने फायदे व नुकसान में रहेगी। इसका सर्वे कंपनी करा सकती है। उड़ान योजना के तहत केंद्र सरकार निजी कंपनियों को सब्सिडी देती है।
चेंबर आफ कामर्स के सचिव कहते है कि  भागलपुर में पर्यटन और व्यापार दोनों है। यहां का सिल्क उद्योग  दुनिया में मशहूर है। अरबों रुपए का सिल्क व्यापार होता है। विदेशी खरीददार अक्सर आते है। मगर हवाई सुविधा न होने की वजह से इन्हें परेशानी ही नहीं बल्कि व्यापार पर भी असर पड़ रहा है। यहां के  जरदालु आम और कतरनी चावल की सुगंध पूरे देश में फैली है। सरकार ने इनका जियो टेक किया है। इसके अलावे दो विश्वविद्यालय है। कृषि और सामान्य । मेडिकल कालेज अस्पताल है। सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते हफ्ते रिमोट से किया है।  विधि और इंजीनियरिंग कालेज है। एनटीपीसी है। जहां सुपर थर्मल पावर स्टेशन की यूनिट 2340 मेगावाट बिजली पैदा करती है। पुरातत्व ऐहतिहासिक विक्रमशिला है। अब इसके बगल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए पांच सौ करोड़ रुपए दिए है।
और तो और  गंगा नदी पर विक्रमशिला पुल है। जो उत्तरपूर्वी राज्यों और बिहार, झारखंड व बंगाल सीमा को जोड़ता है। एनएच 31 और 80 को भी यह पुल आपस में मिलाता है। सुलतांगज में खल खल बहती उत्तर वाहिनी गंगा नदी है। जहां से सालों भर खासकर सावन भादो के महीने में देश दुनिया के लोग यहां आकर कांवर में जल भर पैदल सौ किलोमीटर की यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ का अभिषेक करते है। पर्यटन की महत्ता है।और अपार संभावनाएं है।  मगर एक अदद हवाई जहाज न होने से भागलपुर अपने को अधूरा महसूस कर रहा है।