Prashant Kishore Attack on Nitish Kumar: बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए 6 साल बीत चुके हैं लेकिन क्या वहां शराबबंदी लागू हो पाई है ये एक बड़ा सवाल है। गुरुवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर राज्य में शराबबंदी को लेकर हमला बोला है। पीके ने सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा, सूबे में शराबबंदी कानून पूरी तरह से विफल रहा है। प्रशांत किशोर का एक वीडियो जिसमें वो बिहार में शराबबंदी का दावा कर रहें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
आपको बता दें कि, इस वीडियो में पीके जनसुराज के बैनर वाले मंच पर खड़े होकर कह रहे हैं, ‘एक पीके खड़े हैं और पूरा बिहार पीके मस्त है, लेकिन राजा को लग रहा है कि शराबबंदी लागू है…। पूरा बिहार पीकर मस्त है और राजा को पता नहीं चल रहा है। कितनी बड़ी नींद में होंगे कि पता नहीं चल रहा है ऐसी बात नहीं है कि पता नहीं चलता है। इस बात का एहसास तब होगा जब आप उस जगह पर कभी पहुंचिएगा तो पता चलेगा कि कैसे पता नहीं चलता है। किसी की हिम्मत नहीं होते है बोलने की।’
बिहार में सियासी जमीन तलाशते पीके
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से चुनावी रणीतिकार प्रशांत किशोर बिहार में अपने लिए सियासी आधार की तलाश में दिखाई दे रहे हैं। पीके ने इसके लिए बिहार में जागरुकता फैलाने की ठान ली है और अब वो जनसुराज यात्रा निकाल रहे हैं। इन यात्राओं में वो लगातार बिहार की नीतीश कुमार सरकार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड पर लगातार हमला बोल रहे हैं। पिछले दिनों भी प्रशांत किशोर ने शराबबंदी के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरा था।
जनसुराज यात्रा निकाल कर नीतीश सरकार पर बोल रहे हमला
इसके पहले हाजीपुर में जनसुराज यात्रा के दौरान पीके ने बिहार में शराबबंदी को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा था, “बिहार में शराबबंदी फेल हो चुकी है। पूर्ण शराबबंदी वाला राज्य होने के बावजूद जो चाहते हैं उन्हें आसानी से यहां शराब मिल जाती है।” उन्होंने ये भी कहा था, शराबबंदी के फेल होने को सीएम नहीं कबूल सकते हैं। वो लगातार इसे ढंकने का प्रयास कर रहे हैं।
नीतीश सरकार ने 2016 में की थी बिहार में शराबबंदी
इसके पहले 5 अप्रैल 2016 में बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने शराबबंदी की थी। इसके तहत राज्य में आईएमएफएल सहित शराब बनाने, शराब का व्यापार, शराब का भंडारण, शराब की बिक्री और खपत पर बैन लगा दिया था। नीतीश सरकार ने शराब को बिहार निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 का उल्लंघन करने वालों के लिए दंडनीय अपराध बना दिया था। हालांकि इसमें अब तक कई बार सुधार किया जा चुका है।