बिहार के सीवान में मोहम्मद शहाबुद्दीन का परिवार एक नई शुरुआत के लिए तैयार है। बुधवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार यह हिना के बेटे ओसामा शहाब के साथ पार्टी में लौटने का संकेत है। हिना ने इस साल सीवान से लोकसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा था। 2009 के बाद पहली बार आरजेडी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हिना निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद केवल 92 हजार वोटों से हारीं जबकि आरजेडी के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी तीसरे स्थान पर रहे।
तेजस्वी की यात्रा के दौरान आरजेडी में शामिल हो सकती हिना
आरजेडी सूत्रों ने कहा कि शहाबुद्दीन की पत्नी और बेटे तेजस्वी की आगामी यात्रा के दौरान पार्टी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन दोनों से कोई वादा नहीं किया गया है। आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “अपनी हार के बावजूद हिना ने हमारे उम्मीदवार के 1.98 लाख वोटों की तुलना में निर्दलीय के रूप में 2.93 लाख वोट पाकर बहुत प्रभावशाली प्रदर्शन किया।” हिना 2009 के बाद से सीवान लोकसभा सीट से जीत नहीं पाई हैं। 2024 के नतीजे बताते हैं कि शहाबुद्दीन अभी भी सीवान और आसपास के इलाकों में एक फैक्टर बना हुआ है।
शहाबुद्दीन जो 1996 से 2004 तक सीवान का सांसद था और क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय था, उसने दो चुनाव इस सीट से आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की थी। हाल के लोकसभा चुनावों में हिना ने सीवान से फिर से टिकट के लिए आरजेडी से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था। पार्टी का मानना है कि इससे मुसलमानों का एक वर्ग अलग-थलग हो गया और यह पड़ोसी सारण से भी आरजेडी की हार का एक कारण था, जहां से लालू की बेटी रोहिणी आचार्य उम्मीदवार थीं।
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आरजेडी का 2004 के लोकसभा चुनाव तक सीवान, गोपालगंज और सारण की राजनीति में प्रभुत्व था। इस क्षेत्र में मुसलमानों की अच्छी खासी हिस्सेदारी है। 2009 के बाद से पार्टी यहां नहीं जीती। हालांकि आरजेडी ने 2015 और 2020 सहित यहां विधानसभा चुनावों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। आरजेडी की नजरें अब 2025 के विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं और जेडीयू के कमजोर होने को देखते हुए पार्टी के अच्छा प्रदर्शन करने की अच्छी संभावना है। वरिष्ठ आरजेडी नेता ने कहा, “शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं और वह 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाह सकते हैं। इसलिए आरजेडी और शहाबुद्दीन परिवार को एक-दूसरे की जरूरत है।
प्रशांत किशोर का भी असर
आरजेडी नेता के अनुसार पार्टी द्वारा मुस्लिम वोटों को एकजुट करने का एक और कारण प्रशांत किशोर हैं। राजनीतिक विश्लेषक से नेता बने किशोर की पार्टी जन सुराज 2025 के विधानसभा चुनावों के साथ शुरुआत करने की योजना बना रही है। पार्टी मुसलमानों तक पहुंच रही है, उन्हें बता रही है कि उनकी समस्याएं पिछड़ों से अलग नहीं हैं और उन्हें एक साथ आना चाहिए। नेता ने कहा, “अगर प्रशांत किशोर की पार्टी कोई प्रभाव डालती है, तो यह ज्यादातर हमारे नुकसान पर होगा। हम उन्हें नजरंदाज नहीं कर सकते क्योंकि वह दो साल से जमीन पर काम कर रहे हैं।”