Bihar Crime: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावे पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं। वजह ये है कि बिहार पुलिस द्वारा पूरे राज्य में वर्ष 2018 में हुए आपराधिक घटनाओं का डेटा जारी किया गया है। डेटा में सभी जिलों का अलग-अलग आंकड़ा है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि बिहार के कई इलाके नक्सलग्रस्त हैं, बावजूद सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं पटना जिले में ही दर्ज की गई है।  पटना जिले में एक वर्ष में अपराध की कुल 32909 दर्ज हुई है। वहीं, सबसे कम 1190 घटनाएं शिवहर जिले में दर्ज हुई है।

घटनाओं की बात करें तो पटना जिले में सिर्फ एक साल में हत्या की 277 घटनाएं दर्ज की गई। सबसे ज्यादा हत्या की वारदात मई और दिसंबर महीने में हुई। अन्य जिलों की तुलना करें तो हत्या की सबसे ज्यादा घटना भी पटना जिले में ही दर्ज की गई। वहीं, हत्या की सबसे कम घटना मात्र 9 अरवल जिले में दर्ज की गई। बता दें कि बिहार के अरवल जिले को एक समय काफी अशांत माना जाता था। सेनारी नरसंहार जैसी वारदात उस समय इसी जिले (तत्कालीन जहानाबाद) में हुई थी।

डकैती में भी पटना जिला नंबर 1 पर है। यहां एक साल में डकैती की कुल 40 वारदातों को अंजाम दिया गया। लूट की कुल 201 घटनाओं को अंजाम दिया गया। चोरी की 5931 घटनाएं दर्ज की गई। 712 दंगे की घटनाएं हुई। हालांकि, गया जिले में सबसे अधिक 808 मामले दर्ज किए गए। पटना में अपहरण के 1324 मामले दर्ज हुए। फिरौती के लिए अपहरण की 10 वारदातों को अंजाम दिया गया। बलात्कार के 123 मामले दर्ज किए गए।

यदि पूरे बिहार में वर्ष 2018 के आपराधिक आंकड़ों की बात करें तो हत्या की कुल 2933, डकैती की 278, लूट की 1734, दंगे की 30915, रेप की 1475, अपहरण की 10310, फिरौती के लिए अपहरण की 46, रोड डकैती की 121, रोड पर लूट की 1464, बैंक डकैती की 5 और बैंक लूट की 4 घटनाएं दर्ज की गई।