बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो गई। यह साफ दिख रहा है कि महागठबंधन में मतभेद और दरारें गहरी हो गई हैं क्योंकि कई सीटों पर इसमें शामिल दल आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर छह नवंबर को वोटिंग होनी है। पहले चरण में नामांकन पत्रों की जांच के बाद 300 से अधिक प्रत्याशियों के पर्चे खारिज किए गए और 61 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए।

महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे आरजेडी ने अपने 143 उम्मीदवारों की सूची देर से जारी की। तब तक अधिकांश प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न मिल चुके थे और उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए थे। आरजेडी पिछले दो विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ नहीं उतारा उम्मीदवार

आरजेडी ने कांग्रेस से सीधा टकराव टालने की कोशिश की और बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम के खिलाफ कुटुंबा (आरक्षित) से प्रत्याशी नहीं उतारा।

तारापुर सीट पर आरजेडी के उम्मीदवार की पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से आमना-सामना होने की संभावना थी, जहां से बीजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। वीआईपी ने अपने उम्मीदवार सकलदेव बिंद को समर्थन देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने नाराज होकर नामांकन वापस ले लिया और चौधरी की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए।

गौडाबोराम सीट पर स्थिति उलझी

दरभंगा जिले की गौडाबोराम सीट पर स्थिति और उलझी रही। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर सूचित किया कि पार्टी सहनी के छोटे भाई संतोष को समर्थन दे रही है लेकिन आरजेडी के चिह्न ‘लालटेन’ पर नामांकन दाखिल करने वाले अफजल अली ने पीछे हटने से इनकार कर दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बन गई है।

आरजेडी को परिहार सीट पर भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है, जहां महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। वह यह आरोप लगा रही हैं कि पार्टी ने टिकट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पुर्वे की बहू को दिया है, जिन्होंने पिछली बार उनकी हार में भूमिका निभाई थी।

कांग्रेस और सीपीआई ने उतारे उम्मीदवार

महागठबंधन में दरारें बछवाड़ा, राजापाकड़ और रोसड़ा सीटों पर भी देखने को मिल रही हैं, जहां कांग्रेस और सीपीआई दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। राजापाकड़ सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है और मौजूदा विधायक प्रतिमा कुमारी दास को दोबारा मौका दिया गया है।

61 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस

कांग्रेस इस बार कुल 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पिछले चुनाव में उसे केवल 19 सीटें मिली थीं और उसके खराब प्रदर्शन को महागठबंधन की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

कांग्रेस के कई नेताओं ने टिकट बंटवारे के मापदंड पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि जिन उम्मीदवारों को पिछली बार भारी हार मिली थी, उन्हें फिर मौका दिया गया, जबकि बेहतर प्रदर्शन करने वालों को नजरअंदाज किया गया है। पप्पू यादव की बढ़ती राजनीतिक हैसियत भी कांग्रेस में असंतोष का कारण बनी है।

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पप्पू यादव के करीबियों को मिला टिकट

पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन के पति पप्पू यादव के करीबी कई नेताओं को टिकट दिया गया है, जिससे पुराने नेताओं में नाराजगी है। विकासशील इंसान पार्टी ने पहले 40-50 सीटों और सरकार बनने पर उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी। हालांकि, अंततः पार्टी ने 16 सीटों पर समझौता किया।

महागठबंधन के घटक सीपीआई (माले) लिबरेशन ने इस बार 20 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं। सीपीआई ने नौ और सीपीएम ने चार सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

आरजेडी उम्मीदवार को पुलिस ने किया गिरफ्तार

नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन कई नाटकीय घटनाएं भी हुईं। सासाराम से आरजेडी उम्मीदवार सत्येंद्र साह को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद झारखंड पुलिस ने एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह महागठबंधन के उम्मीदवारों की गिरफ्तारी का तीसरा मामला है। इससे पहले, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन प्रत्याशी जितेंद्र पासवान (भोरे) और सत्यदेव राम (दरौली) को भी नामांकन के बाद गिरफ्तार किया गया था।

सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने इन गिरफ्तारियों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह एनडीए खेमे की घबराहट का संकेत है।

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