लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के प्रमुख और जमुई से दो बार के सांसद चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव के समय जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला था। चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने के बाद चिराग ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला था।
विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद आखिरकार नीतीश ने चिराग से अपना ‘बदला’ ले लिया और एलजेपी के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह को जेडीयू में शामिल कर लिया। मटिहानी से विधायक राजकुमार सिंह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए जाने से नाराज चल रहे थे। इसी नाराजगी के चलते उन्होंने जेडीयू में शामिल होने का मन बना लिया था और बगावती तेवर दिखाने लगे थे।
चुनाव के दौरान पासवान की लोजपा ने जेडीयू के वोट बेस में गंभीर सेंध लगाई और उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया। जिसके चलते ज्डु इस चुनाव में मात्र 43 सीट जीत सका और तीसरे स्थान पर रहा। इस चुनाव में सबसे ज्यादा सीट राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 75 और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 74 सीट जीती थी। वहीं एलजेपी मात्र एक सीट जीती थी।
राजकुमार सिंह ने अपने फैसले को कठिन बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से मतदान लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया था। स्पीकर के चुनाव के समय एनडीए के पक्ष में मतदान करने को कहा गया था। इसलिए उन्होंने उपाध्यक्ष पद के लिए भी एनडीए को ही वोट किया।
उन्होंने कहा कि वह हमेशा एनडीए का पार्ट थे, विधानसभा में भी हर फैसले में एनडीए का समर्थन किया था। वह सिर्फ बेगूसराय और मटिहानी विधानसभा को विकसित करने के लिए नीतीश कुमार के साथ गए हैं ताकि जिले का विकास हो सके।
विधायक ने कहा कि कुछ लोग चर्चा करते होंगे स्थिति स्पष्ट करने को, लेकिन उनकी स्थिति स्पष्ट है। मटिहानी की जनता से जो वादे किए हैं, वह पूरा करेंगे। जदयू जिलाध्यक्ष रूदल ने कहा कि विधायक के जदयू में शामिल होने के बाद उनका स्वागत किया गया है। वह विकास की भावना से जदयू में आए हैं।