“नीतीश सरकार में चंद अफसरों की ही चलती है। मंत्री, विधायक की कोई नहीं सुनता। मैं इस्तीफा दे रहा हूं।” यह कहना है बिहार सरकार में नीतीश कैबिनेट के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का। राज्य में अफसरशाही से नाराज सहनी ने गुरुवार को अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी।

सहनी ने इस्तीफा देते हुए कहा कि मैं अफसरों के तानाशाही रवैये की वजह से जा रहा हूं। उन्होंने कहा “ट्रांसफर-पोस्टिंग मंत्री स्तर पर होना चाहिए था, वो अफसर कर रहे हैं। अब इस अपमान के साथ मंत्री पद पर रहना उचित नही हैं।” मदन साहनी ने कहा कि घर और गाड़ी लेकर क्या करूंगा जब जनता की सेवा ही नहीं कर पा रहा हूं। जब अधिकारी मेरी सुनेंगे ही नहीं तो जनता की सेवा कैसे करूंगा। अगर जनता का काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने का कोई मतलब नहीं है।

सहनी ने कहा कि कैबिनेट का निर्णय है कि 30 जून तक ट्रांसफर होना है, लेकिन तीन दिनों से अधिकारी फाइल दबाए हुए हैं। मदन साहनी ने कहा “सरकार में चंद अफसरों की ही चलती है। मंत्री, विधायक की कोई नहीं सुनता। मैं इस्तीफा दे रहा हूं। हमारे सहयोगी जिनका दिल मजबूत है उन्हें मंत्री नहीं रहना चाहिए, इस्तीफा दे देना चाहिए।”

समाज कल्याण मंत्री ने यहां तक कह दिया कि नीतीश सरकार में मंत्रियों की कोई पूछ नहीं है। अब मेरे पास इस्तीफे के अलावा कोई चारा नहीं है। विभाग के प्रधान सचिव अतुल कुमार पर मंत्री ने आरोप लगाते हुए अपनी व्यथा बताई है। उन्होंने कहा कि सरकार में अफसरशाही हावी हो गई है। चार साल से एक ही जगह जमे हैं, अब तक क्या किया, यह किसी को मालूम नहीं।

साहनी ने कहा कि विभाग में मंत्रियों की कोई नहीं सुनता है। सारे नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। समाज कल्याण विभाग में सालों से कई अधिकारी जमे हुए हैं और मनमाना काम कर रहे हैं। इसे हटाने की जब बात कही तो विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सुनने से इनकार कर दिया।

मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ मेरी हालत नहीं है बल्कि बिहार में किसी भी मंत्री की कोई अधिकारी नहीं सुनता है। यह सबको पता है कि जून महीने में वैसे पदाधिकारी जो 3 साल से एक ही जगह पर पदस्थापित हैं, उनका ट्रांसफर होता है। हमने उन सभी अधिकारियों की लिस्ट अपर मुख्य सचिव के सामने रखी पर उसको देखने वाला कोई नहीं है। पार्टी से इस्तीफा देने के सवाल पर सहानी ने कहा कि पार्टी में बने रहेंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में भी रहेंगे।