बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान कई लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में शनिवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। आलोचनाओं के बीच आज प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया है। इस घटना में कम से कम 15 लोगों की आंखें निकालनी पड़ गई हैं।
पूर्वी मुजफ्फरपुर की अतिरिक्त एसडीएम मनीषा ने इस कार्रवाई पर कहा कि कुछ दिनों पहले मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद कई मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के बाद मुजफ्फरपुर में स्थानीय नेत्र अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर और मेडिसिन की दुकान को सील कर दिया गया है। कुछ दिनों पहले, स्वास्थ्य विभाग के तीन सदस्यों की एक टीम ने इस अस्पताल की जांच की थी।
शनिवार की कार्रवाई से पहले ही सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा के आदेश पर जांच के लिए अस्पताल के दो ऑपरेशन थिएटरों को सील कर दिया गया था। इन्हीं दोनों में पीड़ित लोगों का ऑपरेशन किया गया था। मिली जानकारी के अनुसार 22 नवंबर को आयोजित नेत्र शिविर में कुल 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था।
ऑपरेशन के बाद सभी लोगों ने तकलीफ होने की बात कही, जिसके बाद इंफेक्शन से बचाने के लिए 15 लोग की आंखें निकालनी पड़ गई। आंखें निकलवाने के मामले में ओर वृद्धि हो सकती है। वहीं ऑपरेशन के बाद कई लोगों की रोशनी भी जा चुकी है।
वहीं इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए बिहार के मुख्य सचिव से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। वहीं इस घटना को लेकर बिहार में नीतीश सरकार आलोचनाओं का सामना भी कर रही है। विपक्षी पार्टी राजद ने इस घटना को उठाते हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है। वहीं इस मामले में अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई।
एफआईआर में अस्पताल के प्रबंधक समेत उन डॉक्टरों को भी आरोपी बनाया गया है, जिन्होंने ये ऑपरेशन किए थे। सिविल सर्जन ने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी थाने को सौंप दी गई है। हालांकि रिपोर्ट को लेकर विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं है। वहीं मरीजों के मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है, ताकि गलती किसकी है और ऐसा क्यों हुआ इसकी सही जानकारी मिल सके।
