बिहार चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह एक्शन मोड में आ चुके हैं। महिलाओं पर उनका खास फोकस है, पिछले कुछ महीनो में उन्होंने कई योजनाओं का ऐलान किया है, आधी आबादी पर उनका ध्यान देखने को मिल रहा है। अब यह वो रणनीति है जिसका एनडीए कई दूसरे राज्यों में सफल प्रयोग कर चुकी है। बात चाहे महाराष्ट्र की हो मध्य प्रदेश की हो या फिर दिल्ली की, महिलाओं का अप्रत्याशित वोट पार्टी को मिला है। अब उसी कड़ी में बिहार में भी महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए नीतीश कुमार कई योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं।
चुनाव से पहले नीतीश के बड़े ऐलान
उदाहरण के लिए इस साल 24 जून को बुजुर्ग विधवाओं और दिव्यांग लोगों की पेंशन ₹400 से बढ़कर ₹1100 कर दी थी, यहां भी 54.5 फीसदी लाभार्थी तो महिलाएं रहीं। इसके बाद जुलाई में आरक्षण के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। जो महिलाएं बिहार की रहने वाली हैं, उन्हीं को 35 फीसदी कोटे का फायदा मिलेगा, दूसरे राज्य से आईं महिलाओं को जनरल कैटेगरी में रखा जाएगा।
इसके बाद नीतीश सरकार ने आशा कर्मचारियों का वेतन भी हजार रुपए से बढ़ाकर तीन हजार रुपये महीने का कर दिया था। इसके अलावा 29 अगस्त को नीतीश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को हरी झंडी दिखाई और इसके लिए 20000 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए। इस योजना के तहत हर परिवार में एक महिला को ₹10000 का ग्रांट मिलेगा।
इसके अलावा नीतीश सरकार हार्ट बाजार भी बनवाने जा रही है जहां पर महिला उद्यमी अपने सामान बेच सकती हैं। इस योजना के लिए भी नीतीश सरकार ने 20000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
बिहार चुनाव में महिलाओं की भूमिका
अब महिलाओं के लिए इतनी योजनाओं का ऐलान इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों में महिलाओं ने ही सबसे ज्यादा वोटिंग की है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय 59.69 महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वही इस साल पुरुषों ने बिहार में 54.68 प्रतिशत मतदान किया था। अभी अगर 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो कई ऐसी सीटें सामने आई जहां पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोट किया।
अभी बात अगर नीतीश कुमार की करें तो उन्होंने भी महिला वोटर पर खास ध्यान दिया है। 2005 में जब वे सत्ता में आए थे, उन्होंने इस वर्ग को हमेशा साधकर रखा। 2006 की बात है जब सबसे पहले नीतीश कुमार ने ग्रामीण और शहरी लोकल बॉडी में 50 फ़ीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की थीं। इसके अलावा उन्होंने मुफ्त साइकिल की भी शुरुआत की। इसके बाद 2016 में उन्होंने महिलाओं के लिए राज्य की हर सरकारी नौकरी में 35 फीसदी के आरक्षण का भी ऐलान किया।
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