Bihar Elections 2025: बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच एक बार फिर सीमांचल बैटल फील्ड बनता जा रहा है। अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिलों में फैला ये इलाका कुल 24 विधानसभा सीटों को समेटे हुए है। सबसे बड़ा सवाल यह कि इस बार ओवैसी फैक्टर चलेगा? अगर चला तो किसको फायदा और किसको नुकसान होगा? अगर नहीं चला तो महागठबंधन को फायदा या पीके की पार्टी जन सुराज को मिलेगा फायदा मिलेगा।

सीमांचल की राजनीति को समझने के लिए पहले इस इलाके की भौगोलिक स्थिति को समझना जरूरी है। यह इलाका पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है और नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है। इसके अलावा यह बांग्लादेश बॉर्डर के भी काफी करीब है। सीमांचल में बिहार के चार जिले आते हैं। इसमें कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज का नाम शामिल है। ये चारों जिले मुस्लिम बहुल हैं और यहां कुल 24 विधानसभा सीटें हैं।

सीमांचल में कौन-कौन सी सीटें शामिल?

सीमांचल की 24 सीटों में पूर्णिया की सात, कटिहार की सात, अररिया की 6 और किशनगंज की चार सीटें हैं। कटिहार की बात करें तो यहां पर कटिहार, बलरामपुर, कदवा, मनिहारी, प्राणपुर, बरारी, कोरहा सीटें हैं। वहीं पूर्णिया में पूर्णिया, बायसी, अमौर, रूपौली, काशीचक, धमदाहा, बनमनखी का नाम शामिल है। साथ ही अररिया में अररिया, जाले, जोकीहाट, रानीगंज, फारबिसगंज और बघवा है। जबकि किशनगंज में किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज और ठाकुरगंज का नाम शामिल है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इन 24 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को आठ सीटें, जेडीयू को चार सीटें, कांग्रेस को पांच सीटें, भाकपा माले को एक और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को एक सीट मिली थी। ओवैसी की पार्टी एएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि, बाद में ओवैसी की पार्टी के पांच में से चार विधायकों ने आरजेडी का दामन थाम लिया।

अररिया में कैसा मुकाबला देखने को मिला?

अररिया जिले के जोकीहाट, नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, अररिया और सिकटी विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा-जदयू गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा रहा है। 6 विधानसभा क्षेत्रों में चार पर भाजपा-जदयू गठबंधन की जीत हुई है। वहीं जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। एक सीट पर महागठबंधन बाजी मारने में कामयाब हुआ।

कटिहार जिले में बराबर की टक्कर

कटिहार जिले की छह विधानसभा सीटों पर सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। कटिहार विधानसभा सीट पर ही काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था। यहां पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार तारकिशोर प्रसाद ने 8,000 से ज्यादा मतों के अंतर से सीट जीती। उन्हें 82669 वोट मिले। 2020 के चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद खान ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए एलजेपी के चंद्र भूषण ठाकुर को हराया. इस जीत ने न केवल कांग्रेस के लिए एक बड़ी राहत का काम किया, बल्कि बिहार की राजनीति में भी एक नया मोड़ लिया है।

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किशनगंज में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली

किशनगंज जिले में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली थी। किशनगंज जिले के चारों विधायकों को करारी शिकस्त मिली थी। मतदाताओं का जनादेश ऐसा कि जदयू के कोचाधामन विधायक रहे मुजाहिद आलम दूसरे स्थान पर रहे तो ठाकुरगंज विधायक नौशाद आलम चौथे स्थान पर। वहीं बहादुरगंज सीट पर 2005 से लगातार चार चुनाव जीत चुके कांग्रस के तौसीफ आलम तीसरे स्थान पर चले गए। वहीं एआइएमआइएम के सिटिंग विधायक कमरूल होदा को भी तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

पूर्णिया जिले में किसे कितनी सीटें मिलीं

पूर्णिया जिले में सात सीटें हैं। एनडीए के पास चार, कांग्रेस के पास एक और एआईएमआईएम के पास दो सीटें हैं। अररिया जिले में छह सीटों में चार एनडीए, एक कांग्रेस और एक एआईएमआईएम को मिली। किशनगंज जिले में महागठबंधन और एआईएमआईएम ने दो-दो सीटें जीतीं। कटिहार जिले में एनडीए को चार और महागठबंधन को तीन सीटें मिलीं।

सीमांचल में कितनी है मुस्लिम आबादी?

अब जिलेवार मुस्लिम आबादी की बात करें तो किशनगंज में 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है। वहीं अररिया में 43 फीसदी, कटिहार में 45 फीसदी और पूर्णिया में 39 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिम समाज की है। साथ ही, मुस्लिम आबादी के साथ-साथ यादव, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की भी अच्छी-खासी मौजूदगी है। यहां पर मुस्लिम वोटर्स की भूमिका काफी निर्णायक होती है।

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