बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का समझौता होने के एक सप्ताह बाद भी स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। दोनों पार्टियों ने अभी तक उन सीटों की लिस्ट जारी नहीं की है, जहां ये अपने उम्मीदवारों को टिकट देंगी। बताया जाता है कि इससे भ्रम की स्थिति पैदा होने के साथ कांग्रेस नेताओं में नाराजगी बढ़ रही है।

चुनाव में कांग्रेस ने अभी तक 21 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। मगर पार्टी के अधिकतर वरिष्ठ नेताओं को अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के बारे में जानकारी नहीं है, जहां से कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। इधर कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि आरजेडी, कांग्रेस को जीतने के लिहाज से ‘मुश्किल’ सीटें देने में कामयाब रही है।

एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि संख्याओं पर ध्यान केंद्रित रखा गया। 70 सीटों पर जोर दिया गया। मगर जो सीटें दी गई हैं उनकी ‘गुणवत्ता’ संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि हालांकि मैंने ऐसा सुना है, पूरी लिस्ट नहीं देखी है। मैंने सुना है कि जहां आरजेडी मजबूत है उनके उम्मीदवारों को वो सीट दी गई हैं। मुझे नहीं पता कि लिस्ट को गुप्त क्यों रखा गया है।

Bihar Election 2020 Live Updates

सूत्रों ने बताया कि उदाहरण के लिए कांग्रेस को सुपौल सीट मिलना तय है। राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव यहां से मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने 2015 में जेडीयू उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। तब वो आरजेडी और कांग्रेस के साथ थी। 2010 में जब यादव यहां से चुनाव जीते थे तब आरजेडी ने भी यहां से चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा। एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ऐसे में ये हमारे लिए एक कठिन सीट है।’

एक अन्य नेता ने कहा कि मुझे बताया गया है कि सोनबरसा रिजर्व सीट कांग्रेस को दी जा रही है। 2010 में हमें यहां से 11 हजार से भी कम वोट मिले थे। तब आरजेडी और एलजेपी उम्मीदवार भी दूसरे नंबर पर रहे थे। दूसरी तरफ उसी जिले के आलमनगर, जहां से कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर रहा और पार्टी जीत की संभावनाओं को मानती है, वो सीट आरजेडी के खाते में जाने की संभावना है।

बता दें कि बछवारा सीट सीपीआई के खाते में जाने पर कांग्रेस में पहले ही काफी नाराजगी है। ये सीट 2015 के विधानसभा चुनाव में दिग्गज कांग्रेसी नेता रामदेव राय ने जीती थी। पिछले महीने उनका निधन हो गया। यहां से कांग्रेस नेतृत्व ने उनके बेटे को टिकट देने का वादा किया था।

इसी तरह दीघा सीट जहां से कांग्रेस की राज्य युवा इकाई की अध्यक्ष गुंजन पटेल चुनाव लड़ना चाहती थी वो महागठबंधन में अन्य दल सीपीआई एमएल को दे दी गई। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सच्चाई ये है कि मौन रहना मामले को हर दिन बदतर बना रहा है। उन्होंने कहा कि एक दिन हमें बताया गया कि मोतिहारी में गोविंदगंज सीट कांग्रेस के पास आएगी। एक दिन कहा गया कि आरजेडी उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़ेगा।