बिहार चुनाव में अब दो हफ्ते से भी कम का समय रह गया है। इस बीच राज्य में पुराने और अनुभवी चेहरों की बदौलत दोबारा सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद जता रही जदयू को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के कद्दावर नेता कपिल देव कामत का कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से निधन हो गया है। वे पिछले करीब एक हफ्ते से पटना के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती थे। बताया गया है कि पिछले दो दिनों से उनकी हालत बेहद खराब थी और गुरुवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

जानकारी के मुताबिक, कामत पहले ही किडनी की समस्या से पीड़ित थे। कोरोना के इलाज के साथ उनका डायलिसिस भी जारी था। हालांकि, इस बीच उनकी हालत बिगड़ती गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया गया। इसके बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। पार्टी के एक बड़े नेता के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शोक जताया है। नीतीश ने कहा, “कामत जमीन से जुड़े नेता थे और कैबिनेट में उनके सहयोगी रहे। उनके निधन से मुझे दुख पहुंचा है। कोविड काल के लिए वर्तमान में लागू दिशा-निर्देश के तहत राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।”

कामत की खराब तबियत के चलते उनकी बहू को मिला है टिकट: गौरतलब है कि जदयू ने इस बार 11 मौजूदा विधायकों को उम्मीदवार नहीं बनाया था। इसमें कामत भी शामिल थे। उनकी जगह मधुबनी के बाबूबरही सीट से उनकी बहू मीना कामत को टिकट दिया गया है। बताया जाता है कि नीतीश ने टिकट का यह फैसला कामत की तबियत को देखते हुए ही लिया था।

शपथग्रहण में भूल गए थे अपना नाम लेना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से माने जाने वाले कपिल देव कामत 2016 में जदयू-राजद गठबंधन टूटने के बाद एनडीए सरकार में मंत्री बने। तीन साल पहले जब वे शपथ ले रहे थे, तब शपथ ग्रहण के दौरान वे अपना नाम लेना ही भूल गए थे। असल में जब कामत मंच पर पद और गोपनीयता की शपथ लेते वक्त काफी हड़बड़ी में दिखे थे। वे ईश्वर की शपथ लेने के बाद सत्य-निष्ठा से भी शपथ लेने लगे। इस पर तत्कालीन राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने उनको टोका कि आप ईश्वर या सत्य-निष्ठा में से किसी एक की शपथ लेते हुए फिर से पढ़िए। दोबारा पढ़ने में कामत अपना नाम लेना ही भूल गए। राज्यपाल ने फिर टोका कि अपना नाम तो बोलिए।