बिहार में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच डॉक्टरों में भी संक्रमण के कई मामले सामने आ रहे हैं। राज्य में कोरोना संक्रमण की वजह से अब तक 19 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। राज्य में इस वजह से कोरोना योद्धा खासे नाराज हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि उन लोगों को घटिया गुणवत्ता वाले पीपीई किट दिए जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना कि इस वजह से राज्य में उन लोगों की जिंदगी खतरे में हैं। टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिहार शाखा के मानद सचिव और प्राइवेट प्रैक्टिशनर डॉ. सुनील कुमार के हवाले से बताया कि राज्य में जिन 19 डॉक्टरों की मौत हुई है और जो 400 से अधिक संक्रमित हैं उनमें से अधिकतर सरकारी डॉक्टर हैं।

डॉ. कुमार के अनुसार बिहार में मंत्रियों और आईएएस अधिकारी सरकारी अस्पतालों के दौरे पर जो पीपीई किट पहनते हैं उसकी तुलना में सरकारी डॉक्टरों को मिलने वाले पीपीई किट की तुलना करें तो अंतर को साफ समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि घटिया गुणवत्ता वाली पीपीई किट के कारण राज्य में डॉक्टरों में कोरोना संक्रमण की दर अधिकर है।

डॉ. कुमार ने बताया कि आईएएम ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सामने कई बार इस मामले को उठाया है। हालांकि, इस संबंध में कोई भी सुध नहीं ली गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत भी पीपीई किट की खराब गुणवत्ता की बात को स्वीकार कर चुके हैं।

प्रधान सचिव ने यह बात मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में निरीक्षण के दौरान कही थी। उनका कहना था कि वह इस मामले को देखेंगे। वहीं, रिपोर्ट में राज्य सरकार के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया कि सरकार बाजार से पीपीई किट खरीदने की योजना बना रही है। इन पीपीई किट की कीमत 1000 से 2500 के बीच हो सकती है।

एक सरकारी डॉक्टर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उन लोगों को जो पीपीई किट दी जाती है वह बिल्कुल पतला, खराब सिलाई वाला होता होता है। ऐसा लगता है जैसे ये प्रोटेक्टिव गियर नहीं बल्कि रेनकोट हो। वहीं, डॉ. कुमार बताते हैं कि राज्य में पीपीई की क्वालिटी ही बड़ा मुद्दा नहीं है। इसके अलावा पीपीई किट और एन-95 मास्क की कमी भी बड़ी समस्या का विषय है। बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा एसोसिएशन के महासचिव डॉ. अमिताभ न्यूजपेपर में पीपीई किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं।