‘हमारी कई बेटियां शादी के लिए घर से बिना मां-पिता की मर्जी के चली जाती हैं। इसके परिणाम बड़े ही दुखद निकलते हैं। कइयों की हत्या हो जाती है। कई बेटियां तो वेश्यावृत्ति की दलदल तक में फंस जाती हैं। उनका कोई ठिकाना नहीं रहता है। इसके बाद सारा दुख परिवार के सदस्यों और मां-पिता को उठाना होता है।’ यह कहना है कि बिहार के डीजीपी एसके सिंघल का है।

डीजीपी सिंघल वह कहते हैं, ‘मैं बेटियों के माता और पिता से अुनरोध करूंगा कि वे अपने बेटा और बेटी से लगातार बात करते रहें। उनको अच्‍छे संस्‍कार दें। माता-पिता अपने बच्‍चों की भावनाओं को समझें, तभी परिवार मजबूत रहेगा।’ डीजीपी ने माता-पिता को सलाह देते हुए कहा कि वे बच्चियों से जुड़े रहें। अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए कि उनकी बच्ची घर से चली तो स्कूल पहुंची या नहीं, स्कूल पहुंची तो पढ़ाई हुई या नहीं और घर के लिए होमवर्क मिला या नहीं। घर वापस आने के बाद भी बच्ची से जुड़े रहना चाहिए।

डीजीपी एसके सिंघल ने कहा कि अभिभावकों को इस बात का पता करना चाहिए कि पढ़ाई के लिए घर से स्कूल के निकली उनकी बच्ची को कहीं कोई परेशान तो नहीं करता है। लड़की खुश है या नहीं, ये पता रखना चाहिए। बेटी किनके साथ उठ-बैठ रही है, क्‍या कर रही है, इस बात की जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन इस बात का ख्याल रखते ही हैं, लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी अभिभावकों की ही होती है।

बिहार के डीजीपी ने अभिभावकों को सचेत करते हुए कहा कि आजकल कम उम्र के लड़के अपराध में लिप्त होने लगे हैं। यह चिंता का विषय है, जो सलाह लड़कियों के लिए दी गई है, वही लड़कों के लिए भी है। समाज में हर तबके की भागीदारी जरूरी होती है।

गुरुवार को समस्‍तीपुर में समाज सुधार अभियान के कार्यक्रम में पहुंचे डीजीपी ने कहा कि अपराध को रोकने में पुलिस तो अपना काम करती है। लेकिन माता-पिता की भी जिम्‍मेदारी कम नहीं है, अभिभावक ठीक प्रकार से ध्‍यान देंगे तो बच्‍चे हमेशा अच्‍छे रास्‍ते पर चलेंगे। समाज सुधार के कार्यक्रम में नशामुक्ति, शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसे विषय पर बात हुई।