चमकी बुखार (एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम – एईएस) से हलकान बिहार में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ट्विटर पर लगातार सक्रिय हैं। वह राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और राजद से लगातार सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन, जब पत्रकारों ने उनसे इस बीमारी से हो रही मौतों पर सवाल किया तो उन्होंने जवाब देने से साफ इनकार कर दिया।
बिहार में चमकी बुखार से 100 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में सरकार की जवाबदेही के बजाय उप मुख्यमंत्री खुद विपक्ष से अतीत की घटनाओं पर सवाल उठा रहे हैं। 14 साल के नीतीश राज में काफी लंबे समय तक उप मुख्यमंत्री रहे मोदी और पूरी बिहार सरकार तमाम इस सवालों से भाग रही है। इसमें प्रमुख सवाल है कि 14 साल में कितने नए सरकारी अस्पताल बने? बेतिया, पावापुरी और मधेपुरा में सरकारी अस्पताल बनने हैं, लेकिन दो ही बने हैं।
सुशील मोदी ने ट्वीट कर पूछा सवालः सुशील कुमार मोदी ने 19 जून को ट्वीट कर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा, ‘राबड़ी बताएं, उनके शासनकाल में मेडिकल कॉलेजों की क्या दशा थी…।’ फिर एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा और पूछा कि पीड़ित परिवारों की मदद के सरकार के प्रयासों में मीनमेख निकालने वाले राजद के लोग बताएं कि उनके नेता गरीबों की विपदा के समय कहां हैं?
मंत्रालय की उपलब्धियां गिनाईः मोदी ने अपने मंत्रालय व सरकार की तमाम उपलब्धियों को ट्वीट के जरिए गिनाया, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि एईएस को यह विकराल रूप लेने से रोकने के लिए नीतीश सरकार ने अपने 14 साल के कार्यकाल में क्या किया? अलबत्ता उन्होंने यह जानकारी जरूर दी- अत्यधिक गर्मी, लू और चमकी बुखार से बड़ी संख्या में बच्चों-बुजुर्गों की मृत्यु हर संवेदनशील व्यक्ति को विचलित करने वाली है।
उन्होंने आगे लिखा सरकार ने पीड़तों की मदद और बचाव के लिए तेजी से कदम भी उठाये। एईएस का इलाज मुफ्त किया गया, रोगी को अस्पताल लाने का खर्च देने का निर्णय हुआ, मृतक के परिवार को 4 लाख रुपए देने की शुरुआत की गई और दर्जन भर लोगों तक यह राशि पहुंचा भी दी गई।
ये हैं महत्वपूर्ण सवाल
2017-18 का स्वास्थ्य बजट 1000 करोड़ कम क्यों किया?
बिहार में डॉक्टरों के करीब 5 हजार पद क्यों खाली हैं?
एम्स के लिए जमीन क्यों नहीं खोज पाई?
दरभंगा मेडिकल कालेज को एम्स में अपग्रेड करने का ऐलान क्यों?
अस्पतालों में ट्रॉली जैसी बुनियादी सुविधा की कमी क्यों?