विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में आने वाले कांवड़ियों को कई मोर्चों पर संकट झेलना पड़ रहा है। इसके बावजूद पांच अगस्‍त (सावन माह की तीसरी सोमवारी) को बाबा बैद्यनाथ द्वाद्वश ज्योतिर्लिंग का दो लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। मंदिर प्रांगण कांवड़ियों से खचाखच भरा था। श्रद्धालुओं की कतार चार किलोमीटर दूर से ही लगी थी। वहीं देवघर में पूजा करने के बाद कांवड़िए बाबा बासुकीनाथ जाना चाहते हैं। मगर वहां छोटे वाहन मसलन ऑटो और ई-र‍िक्‍शा वालों ने पुलिस ज्यादती के खिलाफ हड़ताल कर दी है। और बसों की भारी कमी है। नतीजतन कांवड़ियों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकात दुबे ने तुरंत झारखंड सरकार को न‍िशाने पर लिया और अपने एक्स अकाउंट पर उन्‍हें टैग कर लिखा, ” मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेएमएम जी यदि अपने भ्रष्टाचारी अधिकारियों से मुक्ति मिल गई हो तो आज सावन की तीसरी सोमवारी में लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं व देवघर की आम जनता की परेशानियों को देखिए। मैंने अपने जीवन में पहली बार इतना भ्रष्टाचारी पुलिस अधीक्षक व उसकी झारखंड पुलिस को देखा है, सही भी है पहली बार गैर हिंदू पुलिस अधीक्षक को हिंदू जन भावनाओं का पता ही नहीं है।”

सांसद दुबे ने भले ह‍िंंदू जन भावना और गैर हि‍ंंदू पुल‍िस अधीक्षक का मुद्दा उठा द‍िया, लेक‍िन सच यह है क‍ि कांवड़‍ियों के शोषण में कोई पीछे नहीं है। सरकार ने पर्याप्‍त सुव‍िधा नहीं दी है और व्‍यापारी भी श्रद्धालुओं का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे। सरकार उन पर भी काबू नहीं कर पा रही है। चाहे ब‍िहार की हो या झारखंड की।

सुलतानगंज से लेकर देवघर और बासुकीनाथ में श्रद्धालुओं का तरह – तरह से शोषण होता है। दुकानदार हो या भोजन वाले होटल या वाहनों के पार्किंग वाले हो या यातायात पुलिस वाले हो या मल मूत्र त्यागने वाली जगह हो या नहाने के नल हो। सभी बेजा कमाई के लिए सक्रिय हैं। इन पर न तो सरकार का नियंत्रण है और न प्रशासन का।

प्रशासन ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए सुलतानगंज से लेकर देवघर और बासुकीनाथ तक प्रसाद से लेकर खाने के सामानों तक की कीमतें तय कर रखी हैं, लेकिन कोई भी दुकानदार सरकारी कीमत पर कुछ भी बेचने को तैयार नहीं है। इससे बाबा के दरबार में भी आम जनता परेशान है। 

सरकारी रेट को नहीं मानते दुकानदार

सरकारी रेट वाले सामानों में गुणवत्ता का भी अभाव है। जो थोड़े बहुत दुकानदार सरकारी रेट वाले प्रसाद बेच रहे हैं, उनके पेड़े मटमैले है और मक्खियां भी भिनभिना रही हैं। जबकि मनमानी रेट वाले पेड़े थोड़ा साफ है और ढंककर रखे गये है। देवघर आने वाले श्रद्धालु प्रसाद के नाम पर पेड़े, मखाना, बद्दी, चूड़ा, सिंदूर और परिवार के लिए लाल – हरी चूड़ियां जरूर खरीदते है। जो काफी महंगे हैं।

भागलपुर डिवीजन के सुलतानगंज और बांका इलाके और मुंगेर की सीमा से लगे कांवड़िया रास्ते में करीबन तीस हजार से ज्यादा दुकानें है। लेकिन बिजली के कनेक्शन लोगों ने अस्थाई समय के लिए केवल पांच सौ के आसपास लिए है। बाकी लोग अवैध बिजली से अपनी दुकानें रौशन कर रहे हैं।

यही हाल देवघर क्षेत्र का है। झारखंड के देवघर और दुमका जिले में क्रम से बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ धाम है, लेकिन यहां बिजली की समस्या ज्यादा विकराल है। देवघर बमपास्ट टाउन इलाके के वाशिंदे संजय भारद्वाज, अनिता शर्मा, अतिशय भारद्वाज व रमण ने बताया कि बिजली की किल्लत पिछले दो महीने से झेल रहे है। बिजली के आने-जाने का कोई नियम नहीं है।  

हैरत की बात यह है कि सत्संग, छतीसी, हिरणी, कुंडा, विलासी, बमपास्ट टाउन, करनीबाग वगैरह मोहल्लों में बिजली एक महीने पहले रखरखाव के नाम पर काटी गई। अब बिजली गुल रहने का मतलब क्या है। दरअसल जूनियर से लेकर कार्यपालक अभियंता तक कुछ दुकानदारों के साथ मिलकर मनमानी कर रहे हैं। कोई अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने तैयार नहीं है। ग्रामीण इलाकों की दशा तो और ज्यादा खराब है। वहां तो रात-रात भर बिजली गुल है। प्रशासन और सरकार का जितना दावा सुविधाओं का है। वैसा है नहीं। सावन जैसे – जैसे बीत रहा है वैसे – वैसे सरकारी इंतजाम बम बोल रहा है। 

सुलतानगंज से देवघर के बीच 105 किलोमीटर लंबे रास्ते और देवघर व बासुकीनाथ में दुकानदारों ने पुलिस के सहयोग से रास्‍तों पर अतिक्रमण कर रखा है। इन सबके बावजूद भक्‍त जोश में हैं। इन रास्तों का मुआयना करने पर पाया कि थके मांदे कांवड़िए ऐसे बेजा कमाई करने वालों से उलझने की स्थिति में नहीं है। इनके लिए बोल बम का नारा है, बाबा एक सहारा है, का मंत्र है।

बाबा बासुकीनाथ में प्रवेश करने पर नगर पंचायत का टोल नाका लगा है। जो हरेक वाहन से 50-100 रुपए वसूल रहे है। जबकि नगर पंचायत का पूरे मेला क्षेत्र में कोई सहयोग नजर नहीं आता। यह पैसा कहां जा रहा है? यह पता नहीं है।

बताते हैं क‍ि बाबा बैद्यनाथ मंदिर को बीते गुरुवार तक ही बारह करोड़ रुपए बतौर चढ़ावे से आमदनी हुई है। देवघर के उपायुक्त विशाल सागर के आदेश पर चढ़ावे की गिनती की गई थी। सोना-चांदी अलग है।

मोटे अनुमान के मुताब‍िक एक श्रद्धालु अमूमन तीन से पांच हजार रुपये खर्च करते हैं। पचास लाख कांवड़िए जल अर्पण करने एक महीने में आते हैं। इन सबको सरकार से कोई उम्‍मीद नहीं है, बस ‘बाबा’ एक सहारा है के भाव से ही ये जलाभ‍िषेक कर लौट जाते हैं।