बिहार को फिसड्डी बताने वाले नीति आयोग की एक रिपोर्ट पर प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष के लगातार हमले के बाद सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने भी इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य का क्षेत्रफल कम है और आबादी ज्यादा है, इसलिए रिपोर्ट ऐसी आई है।
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रयासों के बावजूद बिहार की आबादी और क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए विकास दर पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा- “बिहार का सबसे पीछे होने का कारण बिहार का क्षेत्रफल देश के अन्य राज्यों में 12वें नंबर पर है और आबादी में पूरे देश में तीसरे नंबर पर है। कुछ दिन में ये दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। सबसे पीछे है, इसलिए हमने एक रिपोर्ट भेजी है ताकि और विकास हो सके”।
बिहार के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान राज्य ने काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा- “2005 के बाद से हम बिहार के विकास के लिए बहुत काम कर रहे हैं। 2004-05 में बजट 23,875 करोड़ था और 2021-22 में राज्य सरकार का बजट 2,18,000 करोड़ का है। 2004-05 में प्रति व्यक्ति आय 7,914 रुपए और 2019-20 तक ये बढ़कर प्रति व्यक्ति आय 50,735 रु. हो गया है”।
इससे पहले रविवार को राज्य के योजना और कार्यान्वयन मंत्री बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे के लिए फिर से जोर दिया है। अपने पत्र में, मंत्री ने स्वीकार किया कि प्रति व्यक्ति आय, जीवनयापन में आसानी और मानव विकास जैसे संकेतकों के मामले में बिहार राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है।
बता दें कि नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में सबसे ज्यादा गरीबी बिहार में है। बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, इसके बाद झारखंड में 42.16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं। इसी रिपोर्ट को लेकर बिहार में विपक्ष नीतीश सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए है।