रानीगंज विधानसभा सीट बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक है। पिछले चुनाव में इस सीट पर नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिला। हालांकि, इस बार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज मैदान में है तो काफी रोमांचक मुकाबला होने के आसार हैं।

2020 के विधानसभा चुनाव में रानीगंज सीट पर जेडीयू के उम्मीदवार अचमित ऋषिदेव ने जीत दर्ज की थी। अचिमत ऋषिदेव को 81901 वोट मिले थे। वहीं राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार अविनाश मंगलम 79597 वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। इस तरह अचमित ऋषिदेव ने अविनाश मंगलम को 2304 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी। सबसे खास बात यह है कि 5577 वोटों के साथ नोटा तीसरे नंबर पर था।

उम्मीदवारपार्टीकितने वोट मिले
अचमित ऋषिदेवजेडीयू81,901
अविनाश मंगलमआरजेडी79,597
NOTA5,577

2015 में क्या रहे नतीजे?

वहीं अगर बात अब 2015 के विधानसभा चुनाव की करें तो रानीगंज सीट से जेडीयू के उम्मीदवार अचमित ऋषिदेव ने जीत हासिल की थी। उन्हें 77,717 वोट मिले थे। वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रामजी ऋषिदेव को 62,787 वोट मिले। इस तरह अचमित ऋषिदेव ने रामजी ऋषिदेव को 14,930 वोटों के अंतर से हराया। नोटा को 6,351 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहा।

ये भी पढ़ें: बरबीघा सीट पर रोमांचक है मुकाबला, पिछली बार 113 वोटों से तय हुए थे नतीजे

उम्मीदवार का नामपार्टीकितने वोट मिले
अचमित ऋषिदेवजेडीयू77,717
रामजी ऋषिदेवबीजेपी62,787
NOTA6,351

साल 2010 विधानसभा चुनाव परिणाम

2010 के विधानसभा चुनाव में रानीगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के कैंडिडेट परमानंद ऋषिदेव ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 65,111 वोट मिले थे। राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार शांति देवी को 41,458 वोट मिले। इस तरह परमानंद ऋषिदेव ने शांति देवी को 23,653 वोटों के अंतर से हराया। कांग्रेस के उम्मीदवार हरि प्रसाद वैश्यंत्री को 9,955 वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर रहे।

उम्मीदवार का नामपार्टीकितने वोट मिले
परमानंद ऋषिदेवबीजेपी65,111
शांति देवीआरजेडी41,458
हरि प्रसाद वैश्यंत्रीकांग्रेस9,955

क्या है जातीय समीकरण

रानीगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के अररिया जिले में है। इसमें रानीगंज और भागरमा के कुछ इलाके आते हैं। इस क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल करीब 531 वर्ग किलोमीटर है। यह सीट अररिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां की आबादी में ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति, मुस्लिम, यादव और अतिपिछड़ा वर्ग से हैं, जिसकी वजह से यहां का चुनावी मुकाबला थोड़ा जटिल हो जाता है।