बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो चुकी है। तमाम पार्टियां प्रचार में लगी हुई हैं। कई सीटों पर तगड़ी चुनौती देखने को मिल रही है। ऐसी ही बिहार की एक सीट है भोरे। पिछले विधानसभा चुनाव में भोरे सीट से जदयू के सुनील कुमार ने मात्र 462 वोटों से जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उन्हें 74,067 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के जितेंद्र पासवान रहे थे, जिन्हें 73,605 वोटों से संतोष करना पड़ा था।
भोरे विधानसभा सीट की बात करें तो यह गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। 1957 में इस सीट पर सबसे पहले चुनाव हुए थे। तब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामबली पांडे ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1962, 1967, 1969 और 1972 में कांग्रेस के प्रत्याशी राज मंगल मिश्रा ने लगातार चार बार बाजी मारी। वहीं, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी जमुना राम ने सभी को चौंकाते हुए इस सीट पर जीत हासिल की। इसके बाद 1980 में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी अलगू राम के पास चली गई।
वर्ष | विजेता उम्मीदवार (पार्टी) | प्राप्त वोट | उपविजेता उम्मीदवार (पार्टी) | प्राप्त वोट | जीत का अंतर |
2020 | सुनील कुमार (जदयू) | 74,067 | जितेंद्र पासवान (भाकपा माले) | 73,605 | 462 वोटों से |
2015 | अनिल कुमार (कांग्रेस) | 74,365 | इंद्रदेव मांझी (भाजपा) | 59,494 | 14,871 वोटों से |
2010 | इंद्रदेव मांझी (भाजपा) | 61,401 | बच्चन दास (राजद) | 17,831 | 43,570 वोटों से |
भोरे सीट पर अब तक 16 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। यहां कांग्रेस आठ बार जीती है। जनता दल, भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल दो-दो बार जीत हासिल कर चुके हैं। वहीं, जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) को एक-एक बार सफलता मिली है।
भोरे सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां रविदास और कोइरी जाति की संख्या 30% से ज्यादा बताई जाती है। मुस्लिम और यादव वोटरों की स्थिति भी काफी मजबूत है। पिछली बार इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा देखने को मिला था और एक बार फिर वैसी ही चुनौती देखने को मिल सकती है।