Bihar Minister Sudhakar Singh: बिहार में कैबिनेट विस्तार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप के बाद विवाद खड़ा हो गया है। पहले बिहार के कानून मंत्री कार्तिक कुमार को लेकर घमासान मचा था अब उनके कृषिमंत्री सुधाकर सिंह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इस बीच कार्तिक कुमार ने मीडिया से बातचीत की और बीजेपी पर पलटवार करते हुए सवाल उठा दिया कि जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने इन आरोपों पर कार्रवाई क्यों नहीं की?

बिहार के कैबिनेट में कृषिमंत्री सुधाकर सिंह पर चावल घोटाले का आरोप है। जब इस बात को लेकर सियासत तेज हुई तो सुधाकर सिंह ने आरोपों पर सफाई देते हुए आज तक से कहा कि आजकल तो राखी सावंत स्टाइल में पॉलिटिक्स हो रही है। कृषि मंत्री ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा,’जब से ये लोग मुझपर आरोप लगा रहे हैं तब से लेकर अब तक ये लोग सत्ता में रहे हैं। पहले तो वो खुद दोषी हैं कि उन लोगों ने आरोप लगाया तो कार्रवाई क्या की और कार्रवाई में न्यायपालिका ने हम लोगों को राहत दी। तो क्या माननीय न्यापालिका भी दोषी हो गया?’

Rakhi Sawant स्टाइल में राजनीति कर रही है BJP

कृषिमंत्री ने बीजेपी की बयानबाजी पर जवाब देते हुए कहा, ‘आजकल तो आपका स्टाइल भी राखी सावंत की तरह हो गया है कि कुछ भी बयान मीडिया में दे दो किसी को कुछ भी कह दो। बीजेपी ने भारतीय राजनीति में एक नई संस्कृति को जन्म दिया है वो करे उसे मुबारक हो क्योंकि वो मुद्दों के आधार पर राजनीति नहीं करती है। वो जिस मुद्दे पर राजनीति करते हैं वहां सिर्फ दंगे और उन्माद की बातें करते हैं और मॉब लिंचिंग की बात करते हैं। उनके पास इससे ज्यादा कोई मुद्दा भी नहीं है।’

State Government ने नहीं निभाई अपनी जिम्मेदारी

चावल घोटाले पर जवाब देते हुए कृषिमंत्री ने बताया कि सबसे पहली बात तो ये गबन नहीं है बल्कि ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रैक्ट है, ब्रीच ऑफ ट्रस्ट नहीं है। मेरे और सरकार के बीच जो एग्रीमेंट था उसके मुताबिक मुझे धान मिला और उस धान को चावल बना देना था। बस इतना सा कॉन्ट्रैक्ट मेरे और सरकार के बीच था। बाकी उस चावल को पब्लिक तक ले जाने और उसके डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी। राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई इसका सबूत मेरे पास है।

चावल ले जाने के लिए District Magistrate को 9 बार पत्र लिखा

जब उनसे सवाल किया गया कि पैसे तो आपने ले लिए थे तब उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि पैसे तो थे ही नहीं चावल था जो सरकार को ले जाना था ये उनकी जिम्मेदारी थी जो एग्रीमेंट में लिखी है। मैंने उन्हें कभी नहीं रोका चावल ले जाने से बल्कि मैंने तो सरकार को चावल ले जाने के लिए कलेक्टर को 9 बार पत्र लिखा, हाई कोर्ट गए और कहा कि सरकार को कहिए कि चावल ले जाए मेरा नुकसान हो रहा था। मुझे उस चावल के रख-रखाव का अतिरिक्त खर्च देखना पड़ रहा है उसका किराया देना पड़ रहा है। इतनी बात के बाद भी नहीं ले गए इसके बाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया उसके बाद भी नहीं ले गए।