Jan Suraaj Party Chief Prashant Kishor: जन सुराज के मुखिया प्रशांत किशोर ने बिहार को एक असफल राज्य बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार सच में एक असफल राज्य है जो बुरी हालत में है और इसके विकास के लिए काफी कोशिशों की जरूरत है। सूडान से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे राज्यों की खासियत वहां की आबादी में दिखाई देती हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा कि उदाहरण के लिए कभी-कभी हम सोचते हैं कि सूडान में लोग 20 साल से गृहयुद्ध में क्यों लड़ रहे हैं। क्योंकि जब आप उस असफल राज्य में होते हैं, तो लोगों को इस बात की चिंता नहीं होती कि हमारे बच्चे सूडान में कैसे पढ़ेंगे। उन्हें इस बात की चिंता होती है कि किसे गोली मारनी है और कहां पकड़ना है। तो बिहार में भी यही स्थिति है और हमें इसके बारे में पता होना चाहिए।

बिहार ने जनसंख्या के मामले मे जापान को पीछे छोड़ा- प्रशांत किशोर

टॉइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में बिहार प्रवासियों को संबोधित करते हुए जन सुराज के चीफ ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि यह (बिहार) एक ऐसा राज्य है जो गहरे संकट में है। अगर बिहार एक देश होता, तो यह दुनिया में जनसंख्या के मामले में 11वां सबसे बड़ा देश होता। हमने जनसंख्या के मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया है। पूर्व चुनावी रणनीतिकार ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा इलेक्शन में विजयी परचम लहराएगी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद वह शराब बंदी पर लगे बैन को हटा देंगे और राजस्व का इस्तेमाल स्कूली शिक्षा में सुधार करने के लिए करेंगे।

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प्रशांत किशोर ने बिहारी प्रवासी समुदाय से कहा कि वह किसी को भी डराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें जमीनी स्तर की सच्चाई के बारे में बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन सुराज बिहार का विधानसभा चुनाव जीतेगी। इसके बारे में उन्हें बिल्कुल भी शक नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनावी समझ के आधार पर मैं साफ तौर पर देख सकता हूं कि जीत हमारी होगी।

जनसुराज के प्रत्याशियों की हुई जमानत जब्त

बता दें की किशोर की नवगठित पार्टी जन सुराज को अपने पहले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिल पाई और तीन निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई। इमामगंज को छोड़कर पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। यहां पर जन सुराज के कैंडिडेट जितेंद्र पासवान 22 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब हो गए। हालांकि, तीन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को अपना असर छोड़ने में काफी संघर्ष करना पड़ा। इससे किशोर की राजनीतिक साख पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। बिहार के उपचुनाव में क्यों फेल हो गए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर?