मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को कहा कि राजधानी भोपाल में बनाए जा रहे 90 डिग्री मोड़ वाले रेलवे ओवरब्रिज में पाई गई तकनीकी खामियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक इन खामियों को पूरी तरह से दूर नहीं किया जाता, तब तक ओवरब्रिज का उद्घाटन नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ऐशबाग आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) में आई तकनीकी खामियों को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।” उन्होंने बताया कि इस दिशा में सुधारात्मक कार्य शुरू कर दिया गया है।
648 मीटर लंबे इस ओवरब्रिज का निर्माण ऐशबाग क्षेत्र में किया गया है, जिस पर कुल 18 करोड़ रुपे की लागत आई है। इसका उद्देश्य रेलवे क्रॉसिंग के कारण होने वाली लंबी प्रतीक्षा को खत्म करना और प्रतिदिन लगभग तीन लाख यात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाना है।
इस पुल के निर्माण का एक भाग लोक निर्माण विभाग (PWD) और दूसरा भाग रेलवे द्वारा किया गया था। तकनीकी खामियों की समीक्षा और जिम्मेदारियों का मूल्यांकन करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने दो मुख्य अभियंताओं और एक कार्यकारी अभियंता सहित चार सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो सुधारात्मक उपायों की सिफारिश भी करेगी।
गौरतलब है कि इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओवरब्रिज के अजीबोगरीब डिजाइन को लेकर आपत्तियाँ पुल के पूरा होने से भी पहले उठ चुकी थीं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 4 अप्रैल 2024 को रेलवे निरीक्षकों की एक टीम ने निर्माण स्थल का दौरा किया था। इसके बाद पश्चिम मध्य रेलवे डिवीजन के डिप्टी सिविल इंजीनियर सुधांशु नागायच ने पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखकर इस खामी की जानकारी दी थी।
नागायच ने पत्र में लिखा था कि बरखेड़ी की ओर पुल और उसकी एप्रोच का जो जुड़ाव है, वह “उचित नहीं प्रतीत होता।” उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी और रेलवे द्वारा निर्मित पुल के दो हिस्से “लगभग समकोण (90 डिग्री) पर मिल रहे हैं”, जो न केवल फंक्शनल जरूरतों को नजरअंदाज करता है, बल्कि सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद खतरनाक है।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि “इस तरह की बनावट से सड़क उपयोगकर्ताओं और आम लोगों में आलोचना होगी और इंजीनियरों की सार्वजनिक छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”