Bihar Election 2025: भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह ने शनिवार को खुद को भारतीय जनता पार्टी का ‘सच्चा सिपाही’ बताते हुए कहा कि वह बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वह चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर भोजपुरी गायक पवन सिंह ने कहा, “मैं पवन सिंह अपने भोजपुरी समाज को सूचित करना चाहता हूं कि मैं बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में शामिल नहीं हुआ हूं और न ही मेरा विधानसभा चुनाव लड़ने का इरादा है। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं और रहूंगा।”

बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के साथ पवन सिंह की मुलाकातों के बाद चर्चा तेज हो गई थी कि इस बार वह चुनावी मैदान में उतर सकते है। लेकिन अब उनके खुद के बयान ने सभी अटकलों को खारिज कर दिया है। वहीं, पवन सिंह का अपनी पत्नी ज्योति सिंह के साथ विवाद लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।

पत्नी ज्योति से विवाद सुर्खियों में

8 अक्टूबर को दोनों ने अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपनी-अपनी बात रखी। इसमें चौंकाने वाले आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चला। मुंबई में मीडिया से बात करते हुए ज्योति सिंह ने कहा कि उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। वहीं पवन सिंह ने इस आरोपों पर जवाब देते हुए ज्योति के दावों को एकतरफा बताया।

बिहार चुनाव: क्या पवन सिंह की पत्नी लड़ेंगी चुनाव?

पवन सिंह ने कहा, “ज्योति सिंह ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था कि वह मुझसे मिलने लखनऊ आ रही हैं। मुझे उनके इरादों का अंदाजा था और मैंने प्रशासन को सूचित कर दिया था। हम मेरे भाइयों, ऋतिक और धनंजय के साथ फ्लैट पर मिले, जबकि ज्योति के साथ उसका भाई और बड़ी बहन जूही भी थीं। मैंने उसके साथ कैसा व्यवहार किया यह सिर्फ मैं, वह और भगवान ही जानते हैं।”

पवन सिंह क्यों महत्वपूर्ण?

भोजपुरी स्टार शाहाबाद क्षेत्र से आते हैं। यह बिहार की सियासत में काफी अहम है। इसमें भोजपुर, आरा, रोहतास, सासाराम, कैमूर भभुआ और बक्सर शामिल हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। यहां पर 22 सीटों में से एनडीए केवल आठ सीटें ही जीत पाया। बाकी 14 सीटें विपक्षी महागठबंधन ने जीतीं। इससे यह क्षेत्र सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक बड़ी कमजोरी बन गया। 2024 के लोकसभा चुनावों में पवन सिंह के निलंबन और राजपूत और कुशवाहा समुदायों के बीच टकराव के बाद एनडीए को इस क्षेत्र की पांच में से चार सीटें गंवानी पड़ी।