फिल्‍ममेकर संजय लीला भंसाली पर जयपुर में ‘पद्मावती’ मूवी की शूटिंग के दौरान राजस्‍थान के राजनीतिक दल या तो पिटाई करने वाले संगठन करणी सेना के समर्थन में हैं या फिर मौन हैं। आम आदमी पार्टी(आप) ने इस मामले की निंदा करने वाला बयान जारी करने के कुछ मिनट बाद ही वापस ले लिया। वहीं कांग्रेस की ओर से केवल पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने ही इस वाकये को गलत बताया। जानकारों का मानना है कि कोई भी दल राजपूतों को नाराज नहीं करना चाहता। पूर्व ओबीसी आयोग के सदस्‍य सत्‍यनारायण सिंह के अनुसार राज्‍य में राजपूत कुल आबादी के 7-10 प्रतिशत हैं। पिछले चुनावों में समाज के वोट भाजपा के पाले में गए थे। एक कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी राजपूतों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती।

भाजपा सांसद सोनाराम चौधरी ने पिटाई को गलत बताया था। बाड़मेर-जैसलमेर सांसद ने इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया, ”नाराजगी को जाहिर करने के संवैधानिक तरीके हैं। आप किसी को इस तरह से पीट नहीं सकते। यह पूरी तरह से गुंडागर्दी है। उन्‍होंने कहा कि यह उनका निजी विचार है और इतिहास किसी एक जाति का ही नहीं है। उनका बयान इस संदर्भ में भी अहम है कि भाजपा ने किसी अन्‍य नेता ने इस घटना पर कुछ नहीं कहा। गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कानून हाथ में लेने पर चिंता जताई लेकिन कहा कि अगर कोई शिकायत करेगा तो ही सरकार कार्रवाई करेगी।

रोचक बात यह है कि मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से भी इस संबंध में कोई बयान नहीं आया। राजे इस तरह के मामलों में कड़ा रूख अपनाती आई हैं। पिछले दिनों जयपुर आर्ट समिट के दौरान तोड़फोड़ होने पर उन्‍होंने कड़ी कार्रवार्इ की थी। यहां तक कि जयपुर मेट्रो के लिए मंदिरों को तोड़े जाने पर आरएसएस और विहिप के दबाव के आगे भी नहीं झुकी थी। लेकिन करणी सेना पर उन्‍होंने कुछ नहीं कहा। वहीं पूर्व सीएम गहलोत ने घटना के तुरंत बाद ट्वीट किया था, ”मैं संजय लीला भंसाली पर हिंसक हमले की निंदा करता हूं। यह दुर्भाग्‍यजनक है। समाज में इस तरह की हिंसा की जगह नहीं है।” लेकिन राजस्‍थान कांग्रेस अध्‍यक्ष सचिन पायलट ने राज्‍य सरकार पर तो हमला बोला लेकिन करणी सेना पर कुछ नहीं कहा। उन्‍होंने कहा, ”किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए। हिंसा किसी चीज का हल नहीं है। दूसरी बात फिल्‍में लोगों की भावनाओं पर असर डालती हैं। इसलिए इस तरह की बातों में संवेदनाओं का ध्‍यान रखना चाहिए।”

भरतपुर राजघराने से आने वाले व विधायक विश्‍वेंद्र सिंह और पूर्व विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने करणी सेना का समर्थन किया। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी दिग्विजय सिंह ने भी करणी सेना के भंसाली पर लगाए आरोपों का समर्थन किया। आप नेता उम्‍मेद सिंह ने बयान वापस लेने पर सफाई में कहा कि यह सही तरह से जारी नहीं हुआ था। उन्‍होंने कहा कि किसी जगह की विरासत को दिखाने पर इतिहास का सम्‍मान किया जाना चाहिए। इस वाकये से भंसाली और करणी सेना दोनों को फ्री की पब्लिसिटी मिली।