मध्यप्रदेश सरकार से राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त अध्यात्मिक संत भय्यू महाराज ने 12 जून को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। भय्यू महाराज की आत्महत्या को लेकर उनके परिजनों, भक्तों समेत कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि हमेशा शांत रहने वाले भय्यूजी ने आखिर आत्महत्या जैसा फैसला कैसे लिया। तमाम अटकलों के बीच अब इस तरह की खबर सामने आ रही है कि आत्महत्या करने से पहले भय्यू महाराज अंधविश्वास में घिरे थे। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की मानें तो आत्म हत्या से कुछ दिनों पहले उनके मन में तनाव सा लग रहा था, उनके शरीर में थकान महसूस हो रही थी। इसे वह शरीर में बाधा मान बैठे थे। इस बाधा को दूर कराने के लिए चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) के जादू-टोना करने वाले बाबा मोहम्मद हुसैन उर्फ बाबा साहब का सहारा लेने लगे थे। झाड़, फूंक कराने के लिए महाराज एक अलग बंगले में बाबा को ले गए थे। इसकी जानकारी महाराज के नजदीकी लोगों को भी नहीं थी। मोबाइल पर ही बाबा से बात किया करते थे। बाबा के इंदौर आने पर उनसे अलग से बंद कमरे में मिलते थे। बाबा हुसैन ने भास्कर को बताया, एक साल में दो बार महाराज से मिलने गया। सिल्वर स्प्रिंग स्थित बंगले पर पहली बार उनसे मिलने के लिए डेढ़ घंटे लगे। वहां पर उन्होंने बाबा हुसैन को बताया कि वह पिछले कुछ समय से तनाव में हैं। बताया जा रहा है कि इसी तनाव के चलते भय्यू जी महाराज ने खुदकुशी कर ली थी।
मंगलवार को भय्यू जी महाराज की आत्महत्या से जुड़ी फॉरेंसिक रिपोर्ट भी सामने आई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भय्यू जी ने क्षणिक आवेश में आकर सुसाइड नहीं किया था। रिपोर्ट के अनुसार महाराज ने 15 से 20 मिनट तक सोच विचार करने के बाद खुद को गोली मारी थी। फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पुलिस को बताया कि भय्यू जी की मौत एक ‘कोल्ड ब्लड माइंड सुसाइड’ था।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बात की भी चर्चा है कि भय्यू महाराज आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे थे। उन्होंने कुछ दिनों पूर्व 10 लाख रुपए कर्जा भी लिया था। कुछ कारोबारी और अकसर उनके आश्रम आने वाली मुंबई की प्रसिद्ध गायिका से भी रुपए की गुहार लगाई थी। बताया तो यह भी जाता है कि एक महीने पूर्व वह निजी अस्पताल में भर्ती हुए तो उपचार के लिए रुपए कम पड़ गए।