तेजाबी हमले के 37 दिनों के बाद दम तोड़ चुकी काजल की मौत पुलिस के लिए अनबुझ पहेली बन गई है। जानकार बताते है कि पुलिस अब इस मामले में कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रही। इसी का नतीजा है कि सफदरजंग अस्पताल में उसकी हुई मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने की वैसी हड़बड़ी किसी ने नहीं दिखाई है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट वहां से एसएसपी आशीष भारती ने अपने मातहत अधिकारी को भेज मंगवाई है। रिपोर्ट मिल जाने की बात भी शनिवार को एसएसपी ने स्वीकारी है। रिपोर्ट में काजल का शरीर आग से जला बताया गया है। इसी को लेकर पुलिस की विशेष जांच टीम के सामने दुविधा की नौबत आने का कयास लगाया जा रहा है।
ध्यान रहे कि अलीगंज गंगा विहार कालोनी की काजल पर हुए तेजाबी हमले और 37 रोज तक मौत से जंग लड़ती उसके साहस ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में 27 मई को दम तोड़ दिया था। उसे बनारस से एक रोज पहले एयर एम्बुलेंस से ले जाकर बेहतर इलाज के वास्ते भर्ती कराया गया था। इंटर की छात्रा काजल पर तेजाबी हमला 19 अप्रैल की शाम को हुआ था। इसके बाद उसे फौरन जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल और फिर वहां से वनारस के बर्न अस्पताल बेहतर इलाज के लिए ले जाया गया था। इलाज के दौरान डाक्टरों ने तेजाबी हमला बताया था। उसी से उसका शरीर झुलस था। तकनीकी (एसएफएल) की शुरुआती जांच में भी तेजाबी हमला माना है। पटना से तकनीकी जांच पक्की तौर पर अभी आई नहीं है। इतना ही नहीं पुलिस को दिए घरवालों के बयान में भी एसिड अटैक बताया गया है।
दरअसल सफदरजंग अस्पताल में मौत से एक रोज पहले ले जाई गई काजल के शरीर का वनारस के अस्पताल में एक महीने से ज्यादा उपचार हुआ था। तेजाब से झुलसी उसकी चमड़ी भी शरीर से अलग की गई थी। हाईपावर दवा और इंजेक्शन से शरीर में काफी फर्क आ गया था। इसी वजह से तेजाब के अंश हट गए और शरीर जला या झुलसा सा दिखने लगा। सफदरजंग की रिपोर्ट में भी जली होने की वजह से मौत होना बताया है। जानकार बताते है। विशेषज्ञ डाक्टरों का भी कमोवेश यही मानना है। इनका कहना है कि एसिड जलाने के बाद उसी तरह अपने निशान शरीर पर छोड़ देती है जैसे आग शरीर को जलाने के बाद। शरीर झुलसता दोनों ही हालत में है। हालांकि पुलिस जांच अभी अधूरी है।एसआईटी तमाम रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है।
तीन रोज पहले राज्य के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे से इस बाबत सवाल पूछने पर इस मामले को पेचीदा (क्रिटिकल) बताया था। भागलपुर में पोस्टेड पुलिस के आलाधिकारी भी इसे फिलहाल उलझा हुआ बता रहे है। तो सवाल उठता है कि इसे सुलझाएगा कौन? और कब तक? गौरतलब है कि पीड़िता के घरवालों के बयान पर पड़ोसी प्रिंस समेत दो जनों को गिरफ्तार किया गया था। जो जेल में है। कई संदिग्धों से गहन पूछताछ की गई। जो जेल में बंद है उनके घरवाले उन्हें जबरन फंसाया बता रहे है। पुलिस इसी उधेड़बुन में फंसी है। पता नहीं इस मामले का निचोड़ किस रूप में निकलेगा। या अनबुझ पहेली बनकर रह जाएगा। फिलहाल पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती है।
