Bhagalpur Blast News: बिहार के भागलपुर में गुरुवार (तीन मार्च, 2022) रात जोरदार धमाका हुआ। इस हादसे में 14 लोगों की जान चली गई। यह ब्लास्ट इतना जोरदार था कि लोगों को इस दौरान एक पल को लगा कि कहीं भूकंप के झटके तो नहीं आए हैं, पर बाद में खोज-खबर के बाद उन्हें हादसे की जानकारी हुई। वहीं, इस घटना पर पीएम नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से बातचीत की है।
घटना थाना कोतवाली से महज 100 गज की दूरी पर हुई, जिसमें दो महिलाओं और दो बच्चों समेत 14 लोगों की जान चली गई। डीएसपी प्रकाश कुमार ने इन मौतों की पुष्टि की, जबकि इस हादसे में 11 लोग जख्मी हुए, जिनमें छह गंभीर रूप से घायल बताए गए।
विस्फोट की वजह से तीन मकान जमींदोज हो गए। मकान का मलबा पुलिस-जिला प्रशासन और नगर निगम हटवाने में लगा है। कहा जा रहा है कि मलबे के नीचे और लाशें हो सकती हैं। इस बीच, दो मौतें अस्पताल में होने की भी खबर है। वारदात की सूचना पर डीआईजी सुजीत कुमार, एसएसपी बाबूराम और डीएम सुब्रत सेन मौके पर पहुंचे। डीआईजी ने बताया कि अवैध आतिशबाजी के धंधे की वजह विस्फोट होने की बात फिलहाल सामने आई है।
डीआईजी सुजीत कुमार ने बताया कि दो शव मलबे को हटाने के दौरान शाम को मिले है। अब मलबा पूरी तौर पर हटा दिया गया है। डीआईजी के मुताबिक थाना तातारपुर के इंचार्ज इंस्पेक्टर संजय कुमार हिमांशु को तत्काल निलंबित किया गया है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर गहन छानबीन कर रही है। दो शवों के मिलने के बाद मरने वालों की कुल संख्या 14 हो गई है।
पड़ोसी राजकुमार झुनझुनवाला ने कहा- विस्फोट इतना जोरदार था कि उर्दू बाजार, रामसर, कोतवाली, खलीफाबाग और मंदरोज़ा तक के मकान थर्रा गए थे। शुरुआत में लोग को लगा था कि भूकंप आया है। हालांकि, बाद में स्थिति साफ हुई। जिन घरों में विस्फोट हुआ उनका मेन गेट लोहे की शीट से बना था, जो धमाके के दौरान उड़कर 20 फुट ऊपर एक घर की छत पर चला गया। इस घर की खिड़की के शीशे चकनाचूर हो गए। पड़ोसी की दीवारें गिरने से मकान खंडहर सा लगने लगा।
सूचना पर आधी रात को ही पुलिस प्रशासन ऐक्टिव हो गया। कोतवाली की तरफ से तातारपुर जाने वाली सड़क पर आवाजाही बंद कर दी। नगर डीएसपी ने घायलों का नाम रिंकू साह (30), आएशा मंसूर (25), राहुल कुमार (12), सोनी देवी (27), जया देवी (35) और नवीन कुमार (32) बताया। मृतकों में गणेश गोढ़ी (60) और दो महिला व दो छोटे बच्चे हैं। लेकिन महेंद्र, लीला, बेटी आरती, इनका छह माह का बेटा, राजू, राहुल और लड्डू साह का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। ये सब इन्हीं मकानों में रहते थे। आशंका है ये मलबे में दबे हैं। मलबे हटाने के दौरान कुछ लाशों के चीथड़े दिख रहे थे।
पुलिस ने कहा कि इन घरों में सालों से आतिशबाजी का धंधा चलता था। ये लोग भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ जमा रखते थे। पड़ोसी गाहे-बगाहे विरोध करते थे। पर फिर भी ये धंधा अवैध तरीके से चलता रहा। बताया गया कि 2008 में भी ऐसा विस्फोट हुआ था। तब तीन मौतें हुई थीं, जबकि इससे बीस साल पहले भी धमाके में कुछ मौतें हुई थीं।
एसएसपी बाबूराम ने बताया कि अभी तक जो जानकारी मिली है कि पीड़ित परिवारों में से एक परिवार पटाखा बनाने का काम करता था, जिसके घर में पहले भी विस्फोट की घटना हो चुकी है। लगता है कि उसी के घर मे विस्फ़ोटक पदार्थ में विस्फोट हुआ। बम डिस्पोजल टीम और एफएसएल टीम के निरीक्षण के बाद स्थिति और साफ हो पाएगी। इस बीच, डीआईजी ने घटना में किसी आतंकी हमले या रंजिश की बात खारिज की है। आतिशबाजी के काम से जुड़े नवीन मंडल की लाश भी मलबे में मिली है।
स्थानीयों का आरोप है- पूर्व की घटनाओं के बाद भी इन गैरकानूनी धंधा करने वालों ने सबक नहीं लिया। घरों के सामने वेल्डिंग, टेंट और दूसरी तरह की दुकानें खोल रखी हैं। ये उसके पिछवाड़े में आतिशबाजी के लिए विस्फोटक पदार्थ बनाने का धंधा करीब 50 साल से भी ज्यादा समय से चला रहे हैं। पर पुलिस घटनाओं के बाद भी नहीं चेती। अगर पहले सुध ली जाती तो ताजा हादसे को टाला जा सकता था।