करीब 70 साल गुजर जाने के बाद बंगाल सरकार को झारखंड में मौजूद अपनी जमीन की याद आई है। बंगाल सरकार ने एक बंगला और जमीन वहां की राज्य सरकार को किराए पर दिया गया था, लेकिन 30 साल का किराया नहीं मिला। इसी तरह झारखंड के हजारी बाग में भी एक जमीन का टुकड़ा पड़ा है, जिसे अब हासिल करने की कवायद शुरू की गई है।
राज्य के एडमिनीस्ट्रेटर जनरल एंड आफिशियल ट्र्स्टी (एजीओटी) विप्लव राय ने हाल में 30 साल से किराया नहीं मिलने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में एक मामला भी दायर किया है। पहले बंगले और जमीन का किराया कम था, लेकिन बाद में बढ़कर मासिक 80 रुपये हो गया। यह जगह बिहार से झारखंड में चली गई, लेकिन किराया बाकी है। साथ ही हजारीबाग की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश भी शुरू की गई है।
विप्लव राय के मुताबिक, 1951 के बाद पहली बार एजीओटी के तौर पर वहां पहुंचने वाला पहले शख्स वो थे। बंगले में कार्यालय चल रहे थे और आसपास की जमीन पर भी निर्माण हो चुका है। कलेक्टर की मदद से वहां जमीन की नाप-जोख की और वहां राज्य सरकार का बोर्ड भी लगाया गया। उन्होंने बताया, “बंगला बेचने के लिए मैंने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत के फैसले के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।”
नाप-तोल किया तो करना पड़ा विरोध का सामना
उन्होंने बताया कि झारखंड के हजारीबाग में राज्य सरकार की कई एकड़ जमीन पड़ी है। वह जमीन सर मोहम्मद अजीजुल हक नामक एक व्यक्ति की थी। उनकी मृत्यु के बाद 1956 में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के तहत तीन एकड़ जमीन एजीओटी को ट्रांसफर की गई थी। एक हफ्ते पहले जमीन देखने के लिए वहां गया था। जमीन का ज्यादातर हिस्सा अतिक्रमण का शिकार है। नाप-जोख करने में भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वह जमीन भी हम हासिल करेंगे, जिससे ट्रस्ट के राजस्व में वृद्धि हो।