पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (WBCPCR) ने कोलकाता उच्च न्यायालय में चुनाव आयोग (EC) के खिलाफ एक याचिका दायर की है। इस याचिका में बाल अधिकार आयोग ने चुनाव आयोग से कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को हर्जाना देने की मांग की है।
याचिका के माध्यम से बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि 26 फरवरी को विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद कोविड -19 के संक्रमण के चलते अनाथ होने वाले बच्चों और इस बीमारी के चलते बच्चों को खोने वाले सभी परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए और यह मुआवजा चुनाव आयोग दे। ‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह याचिका वकील देबाशीष बनर्जी ने बाल अधिकार संगठन की तरफ से दाखिल की है।
याचिका में, बाल अधिकार आयोग ने चुनाव आयोग पर महामारी के बीच “जानबूझकर राज्य में लगभग 10 करोड़ लोगों के जीवन को खतरे में डालने” का आरोप लगाया। कोरोना महामारी के बावजूद आयोग ने चुनाव को आठ चरण में करने का फैसला किया था।
WBCPCR ने कहा कि इसके चलते राज्य के बच्चों को विनाशकारी प्रभाव और परिणामों का सामना करना पड़ा। चुनाव के पहले और उसके बाद के कोविड मामलों के आंकड़े बताते हैं कि डाइरैक्ट या इनडाइरैक्ट बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक WBCPCR की अध्यक्ष और याचिकाकर्ता अनन्या चक्रवर्ती ने बताया, “राज्य में कोविड कंट्रोल में था क्योंकि हमने पिछले साल हमने कोई भी त्योहार नहीं मनाया। कुछ स्कूलों ने इस साल फरवरी में भी कक्षाएं फिर से शुरू की थीं। फिर, चुनाव की घोषणा की गई।”
अनन्या ने बताया कि विभिन्न विभागों से हमने जो रिपोर्ट एकत्र की है, उससे पता चलता है कि पिछले कुछ महीनों में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इसलिए हमने चुनाव आयोग के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला किया।