राजस्थान के बाडमेर में प्रस्तावित रिफाइनरी को लेकर आरोप प्रत्यरोप का सिलसिला तेज हो गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि दो साल से अटकी रिफाइनरी परियोजना में नया विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की मंशा काम करने की नहीं है। इस वजह से मेट्रो, रिफाइनरी सरीखी बड़ी परियोजनाएं रोक दी गई हैं। उन्होंने कहा कि रिफाइनरी पचपदरा में ही लगेगी। कांग्रेस ने इसे लेकर मारवाड़ में आंदोलन शुरू कर दिया है।
वहीं राज्य के राजस्व राज्यमंत्री अमराराम चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रयास से राजस्थान में रिफाइनरी साकार हो रही है। गहलोत ने बाड़मेर में प्रदर्शन किया क्योंकि वह चाहते हैं कि रिफाइनरी का श्रेय उनको मिल जाए, जो उन्हें मिलने वाला नहीं है।
गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि रिफाइनरी का करार हो गया था, अब वसुंधरा सरकार नए सिरे से समझौते की बात कह रही है। उन्होंने कहा कि करार में शर्त रखी थी कि तेल के दाम घटने पर कर्ज की राशि कम कर दी जाएगी। इसमें घाटे का सवाल ही नहीं उठता है। अगर दो साल पहले पचपदरा में रिफाइनरी का काम शुरू होता तो लाखों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता। उन्होंने कहा कि 29 जनवरी को रिफाइनरी का फैसला होने की संभावना है। इसके बाद भी विवाद खत्म नहीं होता है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में वसुंधरा राजे ने पंद्रह लाख युवाओं को नौकरियां देने का वादा किया था। दो साल में छह लाख युवाओं को रोजगार देना तो दूर छह हजार को नौकरी नहीं मिली। प्रदेश की जनता कुशासन से त्रस्त है।
चौधरी ने रविवार को बाडमेर में आरोप लगाया कि गहलोत ने चुनाव जीतने के लालच में पेट्रोलियम कंपनी के साथ ऐसा करार किया, जिससे राजस्थान को नुकसान के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होता। राजस्व मंत्री ने सवाल किया कि पैसा हमारा, जमीन हमारी, तेल हमारा और हिस्सेदारी केवल 26 फीसद। ऊपर से 56 हजार 400 करोड़ का ब्याज मुक्त कर्ज। चार हजार 800 एकड़ जमीन औने-पौने दामों में। क्या यह घाटे का एमओयू नहीं था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकार कंपनी प्राइस वाटरहाउस कूपर्स ने भी एमओयू को राज्य के लिए घाटे का सौदा बताया है।
चौधरी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री राज्य को वैट और रॉयल्टी में हो रहे नुकसान की बात कह रहे हैं। लेकिन यदि रिफाइनरी के लिए राजस्थान सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि के बदले में उचित हिस्सेदारी नहीं मिले, तो वैट और रॉयल्टी की राशि से उसका घाटा कभी पूरा नहीं हो सकता। राजस्व मंत्री ने कहा कि राजनीतिक रूप से अपनी किरकिरी होती देख अब कांग्रेस के नेता रिफाइनरी को मुद्दा बनाकर लोगों की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं। लेकिन जनता उनके बहकावे में आने वाली नहीं है, क्योंकि जनता वादों में नहीं काम में विश्वास करती है। हमारी सरकार जनता के सपने पूरे करने में दिन-रात जुटी हुई है।