Joshimath News: देशभर से हर साल लाखों लोग उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple) पहुंचते हैं। इस बार बद्रीनाथ मंदिर 27 अप्रैल को खुलने वाला है। 27 अप्रैल को बद्रीनाथ मंदिर में भगवान शिव के आगे मत्था टेकने आ रहे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे 27 अप्रैल तक नहीं मानी गई तो वो ट्रैफिक ब्लॉक कर देंगे।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति स्थानीय लोगों का समूह है, जिसने जोशीमठ में जमीन धंसने के मुद्दे को सबसे पहले उठाया था। जोशीमठ संघर्ष समिति सरकार से यह मांग कर रही है कि एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास परियोजना को खत्म किया जाए।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे एक पत्र में समिति के संजयोक अतुल सती ने मांग की कि जमीन धंसने की वजह से प्रभावित लोगों को पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए और उनका उचित पुनर्वास किया जाना चाहिए। उन्होंने पत्र में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें 27 अप्रैल तक नहीं मानी गईं तो लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके संगठन ने राज्य सरकार से संकट से निपटने के लिए स्थानीय और JBSS प्रतिनिधियों की एक हाई लेवेल कमेटी गठन करने का आग्रह किया था, लेकिन उनकी मांग अनसुनी कर लोगों की समस्याओं को और बढ़ा दिया। उन्होंने दावा किया कि JBSS द्वारा स्थानीय स्तर पर एक समन्वय समिति के गठन के लिए की गई एक और मांग को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ में संकट को लेकर राज्य सरकार के टालमटोल से लोग आक्रोशित हो रहे हैं. अगर 27 अप्रैल तक हमारी जायज मांगों पर राज्य सरकार द्वारा सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो JBSS के पास चक्का जाम आंदोलन का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा जिससे चार धाम यात्रा के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को असुविधा हो सकती है।
इससे पहले न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में सती ने राज्य सरकार द्वारा इस मुद्दे से निपटने के तरीके पर नाखुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोग राज्य सरकार से नाखुश हैं। वे अभी भी बेघर हैं और अस्थायी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
बता दें कि जिन आठ वैज्ञानिक संस्थानों ने विभिन्न कोणों से शहर में धंसने के संकट का अध्ययन किया, उन्होंने अभी तक अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। सती ने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए अभी तक कोई कार्यक्रम नहीं बनाया गया है। JBSS चार महीने से इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहा है। लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हो रही है।
