उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद खाली हुई दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने यूपी की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट सहित पंजाब की संगरूर सीट पर भी तारीखों का ऐलान किया है। तीनों सीट पर 23 जून को वोट डालें जाएंगे तो वहीं 26 जून को वोटों की गिनती होगी। ये दोनों सीटें सपा के पास थीं। जाहिर है कि उसके लिए ये सीट जीतना लाजिमी है। लेकिन आजम खान ने जेल से बाहर निकलकर जिस तरह का रुख दिखाया है उसमें अखिलेश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
आजमगढ़ से अखिलेश खुद जीतकर संसद पहुंचे थे जबकि रामपुर से आजम खान को जनता ने चुना था। अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को सपा प्रत्याशी बना सकते हैं। ये उनका मजबूत गढ़ है। 2014 चुनाव में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव यहां से जीते थे। दूसरी तरफ रामपुर में आजम खान का असर है। वो जेल में रहकर भी रामपुर असेंबली सीट से जीतकर दिखा चुके हैं कि जनता के दिल में वो पहले की तरह से राज करते हैं। आजम ये सीट अपने परिवार के लिए मांग रहे हैं लेकिन अखिलेश का मानना है कि रामपुर सीट पर किसी और को लड़ना चाहिए।
2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से अखिलेश और रामपुर सीट पर आजम खान ने चुनाव जीता था। दोनों नेताओं के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सीटें खाली हुई हैं। आजम ने सीतापुर जेल में रहते हुए सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर रामपुर सदर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी वहीं सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी की करहरल विधानसभा सीट पर रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी। अखिलेश अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार असेंबली पहुंचे हैं।
उधर, बीजेपी और बसपा भी मौके के हिसाब से अपने पत्ते खेल रही हैं। बीजेपी दोनों सीटों पर जीत हासिल करके दिखाना चाहती है कि असेंबली चुनाव में मिली जीत के बाद 2024 की तरफ उसके कदम मजबूती से आगे बढ़ रही है। उधर, बहुजन समाज पार्टी लोकसभा ने दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में आजमगढ़ से उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है लेकिन रामपुर सीट पर वो उम्मीदवार नहीं उतारेगी। मायावती मुस्लिमों के साथ आजम को बता रही हैं कि बसपा ही उनकी हितैषी है।
आजम खान को लेकर बसपा का ये रुख कोई पहली बार देखने को नहीं मिला है। जब आजम खान जेल में थे तो मायावती ने उनको लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था। दरअसल, उन्हें दिख रहा है कि मुस्लिम अखिलेश से खुश नहीं हैं। असेंबली चुनावों में सपा की हार के बाद कई बड़े मुस्लिम नेताओं ने पार्टी के खिलाफ बयान दिए हैं। उसके बाद से कहा जा रहा है कि कई बड़े मुस्लिम नेता अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। बसपा आजम खान के प्रति नरम रूख से इन मुस्लिम नेताओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रही है.