आजमगढ़ उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है और पार्टी की कोशिश मुस्लिम-यादव समीकरण के सहारे इस सीट पर दोबारा कब्जा करने की है। वहीं, भाजपा ने एक बार फिर भोजपुरी स्टार दिनेश दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर भरोसा जताया है। जबकि गुड्डु जमाली को चुनाव मैदान में उतारकर बसपा ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

भाजपा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं के सहारे सपा से सीट हथियाने की कोशिश में जुटी है, वहीं सपा अपने मुस्लिम-यादव वोट बैंक पर ज्यादा भरोसा कर रही है। उधर, मायावती के नेतृत्व वाली बसपा आजमगढ़ की सियासी जंग को ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ बनाने की कोशिश में है।

भाजपा ने 2019 के बाद एक बार फिर भोजपुरी सिंगर-एक्टर दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर भरोसा किया है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव से हार गए थे। यूपी विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतने वाली बसपा ने दलित वोटों के साथ मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश में पूर्व विधायक शाह आलम (गुड्डू जमाली) को मैदान में उतारा है। जमाली मुबारकपुर से एआईएमआईएम के टिकट पर विधानसभा चुनाव हारने के बाद बसपा में शामिल हो गए थे।

आजमगढ़ की चुनावी जंग को ‘लोकल बनाम बाहरी’ बताते हुए गुड्डु जमाली कहते हैं, “जनता मुझे चुनेगी क्योंकि मैं स्थानीय हूं और लोगों ने मेरा समर्पण देखा है। मैं मुबारकपुर से 10 साल विधायक रहा हूं। वे मुझे जानते और समझते हैं। भाजपा और सपा के उम्मीदवार बाहर से आए हैं और चुनाव के बाद लौट जाएंगे। चुनाव के बाद लोग मुलायम सिंह यादव और अखिलेश को क्षेत्र में ढूंढते रह गए थे। निरहुआ गाजीपुर के रहने वाले हैं लेकिन मुंबई में रहते हैं। मैं एक स्थानीय व्यक्ति हूं और आसानी से लोगों के लिए उपलब्ध हूं। मैं यहां की समस्याओं को समझता हूं लेकिन अन्य उम्मीदवार इस क्षेत्र को नहीं जानते हैं।”

सभी उम्मीदवार अपनी जनसभाओं में भीड़ को आकर्षित कर रहे हैं। हालांकि, निरहुआ युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं और जनसभाओं में इसका असर दिखाई दे रहा है। 2019 में जब वह दूसरे स्थान पर रहे थे, तो सपा और बसपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी के दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा अखिलेश यादव के पक्ष में गया था। भाजपा 2009 में इस सीट पर जीत हासिल करने में सफल रही थी जब उसके उम्मीदवार रमाकांत यादव थे।