UP Municipal Elections: चुनाव लड़ने के लिए लोग न जाने कितने जतन करते हैं, कभी टिकट नहीं मिलता है तो कभी मनचाहा सीट नहीं मिलती है। कभी सीट मिल गई तो पार्टी के अंदर आपसी मतभेद मुसीबत बन जाते हैं। ऐसे में जोड़तोड़ के साथ कुशल रणनीति की जरूरत होती है। निकाय चुनाव में इस तरह की स्थिति ज्यादा ही रहती है।
जिस वार्ड से पिछली बार जीते थे, वह वार्ड भी दूसरे में समायोजित हो गया
यूपी में कुछ दिनों बाद नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में अयोध्या में एक मजेदार मामला सामने आया है। वहां के स्वर्गद्वार वार्ड से पिछली बार पार्षद रहे महेंद्र शुक्ला इस बार फिर से प्रत्याशी बनना चाह रहे थे, लेकिन यह वार्ड अब लक्ष्मण घाट वार्ड में समायोजित हो गया है। साथ ही यह वार्ड महिला सीट हो गया है। इसके चलते उनके हाथ से इस बार चुनाव निकल जा रहा था।
जीतने के बाद फिर से समारोहपूर्वक करेंगे विवाह
महेंद्र शुक्ला ने हार नहीं मानी। उन्होंने उस सीट पर अपनी मौजूदगी दर्ज करने के लिए आनन-फानन में दो दिसंबर को प्रिया शुक्ला से कोर्ट मैरिज कर ली और अपने पत्नी को वहां से प्रत्याशी बना दिया। हालांकि जिनसे उन्होंने कोर्ट मैरिज की है, उनसे ही उनकी शादी घर वालों की सहमति से कुछ दिनों बाद होने वाली थी, लेकिन उन्होंने चुनाव को देखते हुए पहले कोर्ट मैरिज करके वहां से अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बना ली। बाद में चुनाव जीतने पर फिर से धूमधाम से वैवाहिक समारोह आयोजित करने का फैसला किया है। पिछले 12 अक्टूबर को उन्होंने सगाई की थी और जनवरी में शादी होने वाली थी।
घर आते ही नई बहू जनता से समर्थन मांगने निकल पड़ी
महेंद्र शुक्ला के मुताबिक पिछले चुनाव में जनता ने उन्हें पार्षद बनाया था और उन्होंने अपनी क्षमता के मुताबिक जनता से किए गये वादों को पूरा किया है। ऐसे में वह चाहते है कि जनता के बीच एक बार फिर जाकर उनकी सेवा करने का अवसर मांगे। महिला सीट होने की वजह से वह इससे इस बार वंचित हो रहे थे, इसलिए उन्होंने यह योजना बनाई कि जनवरी में होने वाली शादी को थोड़ा पहले कर लिया जाए और घर में आईं नई-नई बहू प्रिया शुक्ला को ही प्रत्याशी बना दिया जाए। इसी योजना पर काम करते हुए उन्होंने 2 दिसंबर को कोर्ट मैरिज कर ली और घर आई बहू को तुरंत जनता के बीच समर्थन मांगने के लिए मैदान में उतार दिया।