नदिनों युवाओं को प्रेरित करने का काम हर क्षेत्र में हो रहा है ताकि, युवाओं में अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरणा जागृत हो और वे अपने बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें। युवा कथक नृत्यांगना स्वाति सुबोध ने आद्यंतरा के जरिए यही काम करने का प्रयास किया है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में नवोदय नृत्य समारोह का आयोजन किया गया। इसमें युवा और किशोर शास्त्रीय नृत्य सीख रही, छात्राओं ने नृत्य पेश किया।
नवोदय नृत्य समारोह में गुरु शोभना नारायण, गुरु सिंधु मिश्र, गुरु मधुमिता राउत, गुरु स्वागता सेन पिल्लै आदि की शिष्याओं ने शिरकत की। इस समारोह में ओडिशी नृत्य ओडिशी नृत्यांगना मधुमिता राउत की शिष्याएं-प्रणति साहू और शालिनी सिंह ने पेश किया। शालिनी सिंह ने बटु नृत्य और प्रणति मालू ने बैरागी पल्लवी पेश किया। शुद्ध नृत्य और ओडिशी की तकनीकी पक्ष को दोनों शिष्याओं ने अपनी क्षमता के अनुकूल पेश किया। उनके द्वारा नृत्य में दपर्णी, अलस, अभिमानिनी आदि नायिकाओं की भंगिमाओं को अलग-अलग अंदाज में दर्शाया गया। उनके साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-हरिनारायण दास, प्रशांत कुमार महाराणा और धीरज कुमारी पांडे।
समारोह की अगली पेशकश भरतनाट्यम नृत्यांगना व गुरु सिंधु मिश्रा की शिष्याओं की थी। उनकी शिष्या आशि वत्स ने अपने मोहक नृत्य से समां बांध दिया। 12 साल के आशि ने शिवाष्टकम में शिव के रूप का सुंदर विवेचन पेश किया। यह राग भूपाली और खंड चापू ताल में निबद्ध था। रचना ‘शिव शंकरम विश्वनाथम’ पर आधारित पेशकश में आशि ने शुद्धता से अडवुओं और करणों का प्रयोग किया। वे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व और समर्थ वाली दिखीं। यह नृत्य रचना गुरु सिंधु मिश्रा की थी। उनकी एक अन्य शिष्या अपर्णा चंदनानी ने वृहदेश्वर मंदिर के प्रसंग को चित्रित किया। इसमें नंदी और संत भक्त के भावों को दर्शाया गया। दूसरी पेशकश पद्म ‘कृष्णानि बेगनि बारो’ में माता यशोदा और बाल कृष्ण के भावों को निरूपित किया। यह राग यमन कल्याणी और मिश्र चापू ताल में निबद्ध था। उन्होंने अंत में तिल्लाना पेश किया। यह राग मधुवंती और आदि ताल में निबद्ध था। अपर्णा का नृत्य सुंदर और सरस था। समारोह में स्वागता सेन पिल्लै की शिष्या मायरा श्रीवास्तव ने नटराज स्रोत पर नृत्य पेश किया। यह राग मालिका और खंड चापू ताल में निबद्ध था।
समारोह का समापन कथक नृत्यांगना मृणालिनी के नृत्य से हुआ। मृणालिनी कथक नृत्यांगना शोभना नारायण की शिष्या हैं। वह कई सालों से अपने गुरु के साथ भी मंच पर नृत्य कर रही हैं। मृणालिनी ने तीन ताल में निबद्ध गणेश वंदना के साथ ही शुद्ध नृत्त के पक्ष को अपने नृत्य में बहुत सुघड़ता से पेश किया। इनके अलावा, आचार्य महेंद्र गंगानी की शिष्या कामायनी कचरू और संजय शर्मा व पूजा की शिष्या मान्या माथुर ने कथक नृत्य पेश किया। कामायनी ने अपनी प्रस्तुति में थाट, उठान, परमेलू के अलावा, कवित्त ‘मुरली की धुन सुन’ को शामिल किया। वहीं मान्या माथुर ने गत निकास और चक्रदार तिहाइयों को प्रभावपूर्ण अंदाज में पेश किया। उनका नृत्य ऊर्जावान और स्वत:स्फूर्त था।

