Written by Arnabjit Sur, Varinder Bhatia
माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को 15 अप्रैल को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। हत्या के तीनों आरोपी लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह को घटना के तुरंत बाद ही पकड़ लिया गया। जिस दिन अरुण मौर्य को अतीक की हत्या के मामले में पकड़ा गया, उसी दिन उसकी एक साल पुराने मामले में पानीपत कोर्ट में पेशी थी। लेकिन वह सुनवाई के लिए पेश नहीं हुआ और उसी रात प्रयागराज में यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
मौर्य के खिलाफ पिछले साल 4 फरवरी को आर्म्स एक्ट के प्रावधानों के तहत एक केस दर्ज हुआ था। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक , 19 फरवरी को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। सुनवाई के दौरान उसके परिवार ने पिछले साल 24 मार्च को एक जुवेनाइल कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि वह नाबालिग है इसलिए उसका मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चलना चाहिए। इसके बाद 29 मार्च को जुवेनाइल कोर्ट ने अरुण की उम्र 17 साल 6 महीने घोषित करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल, 2023 तय की। वह अपने दादा-दादी के साथ कुछ समय से पानीपत में रह रहा था और थोड़े दिन पहले ही घर से कहकर निकला था कि किसी काम से दिल्ली जा रहा है। वह उत्तर प्रदेश के कासगंज का रहने वाला है।
कासगंज के एसपी सौरभ दीक्षित ने कहा, “हमें अभी तक पता चला है कि अरुण पानीपत के सेक्टर 29 में आर्म्स एक्ट के एक मामले में शामिल था। कुछ दिन पहले उसने अपने दादा और माता-पिता को बताया कि वह किसी काम से दिल्ली जा रहा है और अपने पानीपत वाले घर से निकल गया।” इस बीच कासगंज के कादरवाड़ी गांव में अरुण के पड़ोसियों ने कहा कि वह आखिरी बार लगभग दो साल पहले अपने गांव आया था। और वह अपने घर से बाहर नहीं निकलता था। अतीक की हत्या के बाद पुलिस अरुण के घर पहुंची, लेकिन उसके घरवाले वहां से जा चुके थे। अरुण के घर में उसके माता बेला देवी, पिता दीपक कुमार के अलावा, एक छोटा भाई और बहन हैं।
पुलिस ने कहा कि वे मौर्य के परिवार के संपर्क में हैं और परिवार के लोग सहयोग कर रहे हैं। एक ग्रामीण रवींद्र सिंह ने कहा, “दीपक स्नैक स्टॉल चलाते थे। उन्होंने कभी भी अपने बेटे के बारे में कुछ खास नहीं बताया। वह कहते हैं कि वह नौकरी करता है और पानीपत में अपने दादा के पास रहता है। अरुण अपने माता-पिता और भाई-बहनों के पास हर तीन से चार साल में एक बार थोड़े समय के लिए आता था, और शायद ही कभी अपने घर से बाहर निकलता था।”
ग्राम प्रधान प्रभात कुमार सक्सेना ने कहा कि दीपक 1988 के आसपास पानीपत में बस गए और अरुण का जन्म वहीं हुआ। परिवार करीब आठ साल पहले कासगंज चला गया। प्रधान ने कहा, “यहां के अधिकांश ग्रामीणों के पास कम से कम चार से पांच बीघा कृषि भूमि है … अरुण के परिवार के पास लगभग 1 बीघा थी लेकिन उनके पिता को वित्तीय जरूरतों के कारण इसे बेचना पड़ा। इसके बाद उन्होंने चाट का स्टॉल चलाना शुरू किया।” एक पड़ोसी, शिव कुमार ने कहा, “अरुण लगभग दो साल पहले आया था। जब भी हम उनके बेटे के बारे में पूछते तो दीपक कहते कि वह पानीपत में रहता है। उन्होंने कहा कि अरुण कपड़ा उद्योग में काम करता है।”