इस समय भाजपा में दिल्ली सरकार को घेरना ही अब एकमात्र काम नहीं है बल्कि आपसी कलह से निपटना भी काफी चुनौती से भरा है। काफी समय से पार्टी में अंदरखाने लोगों के नाराज होने की खबर आ रही है, अब मामला लोगों के श्रेय छीनने तक पहुंच गया है। बेदिल को खबर मिली कि पार्टी में सक्रिय एक नेता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी। मामला सोशल मीडिया पर भी चला। बाद में पार्टी ने बयान जारी कर दिया लेकिन सूचना मांगने वाले नेताजी के नाम का कहीं अता पता नहीं था।

शौचालय या दुकान

दिल्ली से सटे नोएडा में स्वच्छता अभियान के तहत दर्जनों स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय बनाए गए लेकिन आजकल इनकी सुरक्षा ऐसे हो रही है जैसे कोई दुकान। कहने को भले यहां कोई कीमती सामान न हो लेकिन सुबह छह बजे से पहले और शाम आठ बजे के बाद इन पर ताला लटका रहता है। औद्योगिक शहर है जो जाहिर सी बात है 24 घंटे लोगों की चहल-पहल रहती है। लेकिन अगर रात आठ बजे के बाद शौचालय का इस्तेमाल करना हो तो आप कर नहीं सकते, लिहाजा इससे संदेश यह भी जा रहा है कि दीवार पर ही लोग संकट की घड़ी में हल्के हो जाएं। अब सफाई की जिम्मेदारी ठेकेदारों की है तो वे यहां कर्मचारी भी अपना हिसाब किताब देखकर रखते हैं। हालांकि ताला भले ही शौचालय पर पड़ा हो लेकिन चोरी तो अभी भी हो रही है। बेदिल को पता चला कि कई शौचालयों में तो निगरानी करने वाले ही लोहे और स्टील के ग्रिल भी गायब कर रहे हैं।

भूल के फंसे

राष्टगान की अनदेखी करना दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी को महंगा पड़ गया। दरअसल अधिकारी ‘महोदय’ से विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत के दौरान यह चूक हो गई। सत्र की शुरुआत राष्टÑगान से ही होनी थी, इस दौरान विधानसभा में वे खड़े ही नहीं हुए, जबकि पूरा सदन नियमाकुल था। उनकी इस चूक पर किसी की नजर पड़े ना पड़े स्वयं विधानसभा अध्यक्ष की ही नजर पड़ गई। उन्होंने इस पर संज्ञान ले लिया। कड़ी नाराजगी जताई। फिर क्या था, अधिकारी महोदय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दे दिए गए। अब उनके इस तर्क पर कोई विश्वास नहीं कर रहा कि वे दूसरे दीर्घा में बैठे थे। बहरहाल आदेश के मुताबिक महोदय जी को 6 अगस्त तक जवाब देना है। किसी ने ठीक ही कहा इस कार्रवाई के बाद अब ‘महोदय जी’ 15 अगस्त को राष्टÑगान के दौरान सबसे पहले खड़े होने वालों में शामिल होंगे!

अधूरी आस

आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास। यह कहावत कुछ दिन पहले के पुलिस मुखिया पर सटीक बैठ रही है। एसएन श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए नए आयुक्त को कमान दी गई। तब ताज हसन को दिल्ली पुलिस से सिविल डिफेंस में महानिदेशक बनाकर भेज दिया गया। अस्थायी कार्यभार की बात पर एक आंशका थी लेकिन एसएन श्रीवास्तव को सेवानिवृत्ति से महीने भर पहले स्थायी आयुक्त की चिट्ठी मिली थी इसलिए यह तय माना जा रहा था कि बालाजी श्रीवास्तव को भी बाद में स्थायी आयुक्त का पत्र मिलेगा। हालांकि यह तो केवल उनकी एक सोच थी, लेकिन मुखिया ने मेहनत शुरू कर दी। रात में गश्त शुरू कर अपनी कप्तानी का आक्रामक रूप देना शुरू भी नहीं किया कि अचानक उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
– बेदिल