Bihar Elections Special: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक जंग काफी तेज हो गई है। विपक्षी गठबंधन के सीएम प्रत्याशी तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, जबकि दूसरी ओर एनडीए गठबंधन के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरा ताकत लगा रहा है। सारी जंग केवल मुख्यमंत्री की कुर्सी की है। बिहार के सीएम की स्पेशल सीरीज में आज हम बात जानेंगे राज्य के 8वें मुख्यमंत्री भोला पासवान के बारे में, जिनका सियासी सफर काफी दिलचस्प रहा था।

बिहार के 8वें मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री ने अपने राजनीतिक करियर में तीन बार सीएम पद की शपथ ली थी लेकिन अहम बात यह रही कि कुल मिलाकर उनका सीएम कार्यकाल साल भर से भी कम रहा था। भोला पासवान को लेकर कहा जाता है कि वे पेड़ के नीचे जमीन पर कंबल बिछाकर बैठते थे और वहीं अधिकारियों के साथ मीटिंग करते थे।

यह भी पढ़ें: कुशवाहा, यादव और कुर्मी के बीच सत्ता-साझेदारी का फॉर्मूला, बिहार के छठवें सीएम सतीश प्रसाद सिंह का दिलचस्प किस्सा

कैसा था भोला पासवान का शुरुआती जीवन?

भोला पासवान शास्त्री के शुरुआती जीवन की बात करें तो उनका जन्म 21 सितंबर 1914 को पूर्णिया जिले के बैरगाछी गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था, लेकिन फिर भी वे सुशिक्षित और बौद्धिक रूप से कुशाग्र थे। उन्होंने ‘शास्त्री’ की उपाधि हासिल की थी। उन्हें एक ईमानदार व्यक्ति और नेता को तौर पर जाना जाता था। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रपति महात्मा गांधी से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे।

यह भी पढ़ें: बहुमत कांग्रेस का, सत्ता विपक्ष की – बिहार के पांचवें सीएम, इकलौते विधायक महामाया प्रसाद सिन्हा बने सियासत के नए नायक

तीन बार ली थी सीएम पद की शपथ

राजनीतिक करियर की बात करें तो भोला पासवान विधायकी का चुनाव कई बार लड़े और जीते थे लेकिन उनके टर्निंग पॉइंट 1968 में आया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया। वे पहली बार 1968 में संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन केवल 100 दिन तक।

यह भी पढ़ें: बिहार के पहले सीएम श्री कृष्ण सिंह, जिनकी चिट्ठी पर जवाहरलाल नेहरू ने राज्यपाल को हटा दिया

इसके बाद फिर उन्हें 1969 में सीएम पद की शपथ दिलाई गई लेकिन उस बार भी वो केवल 13 दिन तक ही इस कुर्सी पर बैठे थे। वहीं साल 1971 में जब उन्होंने सीएम पद की शपथ ली तो वो 222 दिन तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। वह बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे जो अनुसूचित जाति के थे। उनके उनके सम्मान में 1980 में भोला पासवान शास्त्री कॉलेज बभनगामा बिहारीगंज, मधेपुरा की स्थापना की गई थी।

यह भी पढ़ें: स्वराज फंड के लिए बैलगाड़ी से जुटाए थे 1 लाख रुपये, महज 17 दिनों का था बिहार के दूसरे सीएम का कार्यकाल

पेड़ के नीचे बैठकर करते थे बैठक

भोला पासवान शास्त्री भले ही मुख्यमंत्री रहे हों या उससे पहले मंत्री, उनको लेकर एक खास बात यह भी थी कि वे पेड़ के नीचे ही अपने काम निपटाते थे। वे जमीन पर कंबल बिछाकर बैठ जाते थे और वहीं अधिकारियों को बुलाकर बैठक करके मामलों का निपटारा करते थे। उनकी ईमानदारी को लेकर किस्से ऐसे थे, कि उनके नाम की कसमें तक खाई जाती थी।

साल 1973 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हेंअपनी सरकार में मंत्री भी बनाया था। तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उनके पास कोई आलीशान बंगला नहीं था। वह हमेशा झोपड़ी में जिए और अपनी लाइफ का आखिरी वक्त भी झोपड़ी में ही गुजारा था।

यह भी पढ़ें: जमींदारी के खात्मे से लेकर जातिवाद के खिलाफ जंग, बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिन्हा ने रखी थी राज्य में विकास की मजबूत नींव