इंडियन आर्मी में सेवाएं दे चुके रिटायर्ड ऑफिसर मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी बताकर हिरासत में लेने के केस में एक नया मोड़ आया है। एएनआई के मुताबिक जांच करने वाले अधिकारी ने कहा कि वो कभी पूर्व सैन्य अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह से मिले ही नहीं। उन्होंने इसी नाम के किसी दूसरे शख्स से पूछताछ की थी। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल को इस बात की जानकारी दी थी कि जांच रिपोर्ट मनगढ़ंत है।

सनाउल्लाह के वकील ने दिया ये बयानः वहीं सनाउल्लाह के वकील का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि जिस तारीख को सनाउल्लाह पर कथित बयान देने का आरोप लगाया गया है। उस तारीख को वे मणिपुर में एक ऑपरेशन में ऑन ड्यूटी तैनात थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सेना से रिटायर होने के बाद सनाउल्लाह असम पुलिस की बॉर्डर विंग में बतौर सब-इंस्पेक्टर नौकरी कर रहे थे। लेकिन मंगलवार (28 मई) को उन्हें विदेशी बताकर पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया।

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विदेशियों का पता लगाने वाली विंग में थे तैनातः जिस विंग में वो नौकरी कर रहे थे वो उन विदेशियों का पता लगाती है जो 25 मार्च 1971 के बाद असम में बस गए थे। बोको स्थित ट्रिब्यूनल ने 23 मई को कहा था कि सनाउल्लाह अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल जारी हुए एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) में उनका नाम नहीं था। सनाउल्लाह के चचेरे भाई अजमल हक भी सेना से रिटायर्ड हैं।