असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। बीजेपी इस चुनाव में असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ गठबंधन कर के चुनावी मैदान में है। गठबंधन के तहत बीजेपी के हिस्से में बरहमपुर सीट भी मिली है जहां से असम गण परिषद के संस्थापक प्रफुल्ल कुमार महंत चुनाव लड़ते रहे थे। इसके साथ ही अगप ने दो बार मुख्यमंत्री रह चुके और पार्टी के संस्थापक प्रफुल्ल कुमार महंत का टिकट काट लिया है।

प्रफुल्ल कुमार महंत ने साल 1985 में असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) और असम जातीयबादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) से निकल कर असम गण परिषद की स्थापना की थी। 33 साल की उम्र में प्रफुल्ल कुमार महंत मुख्यमंत्री बने थे। 1991 से लेकर 2016 तक के विधानसभा चुनाव में मंहत बरहामपुर से चुनाव जीतते रहे थे। उनकी पार्टी का कहना है कि प्रफुल्ल कुमार महंत के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया है। हालांकि प्रफुल्ल कुमार महंत पार्टी के फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं।

नाराज हैं प्रफुल्ल कुमार महंत: टिकट नहीं मिलने से प्रफुल्ल कुमार महंत नाराज चल रहे हैं। खबरों के अनुसार उन्होंने कहा है कि हमें सीएए के विरोध की कीमत चुकानी पड़ी है। चर्चा यह भी चल रही थी कि वो कांग्रेस के सहयोग से चुनाव में उतरेंगे लेकिन बाद में उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। प्रफुल्ल कुमार महंत की पत्नी और पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. जयश्री गोस्वामी मंहत ने कहा कि पार्टी के फैसले से असम की जनता को झटका लगा है लेकिन वो चुनाव नहीं लड़ेंगे।बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने मामले में कहा है कि हमें प्रफुल्ल कुमार महंत के स्वास्थ्य को लेकर चिंता है।

सबसे कम उम्र में बने थे मुख्यमंत्री: 1985 में 32 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर प्रफुल्ल कुमार महंत ने इतिहास रच दिया था। मंहत के अनुसार साल 1996 में ज्योती बसु ने असम भवन में महंत को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भी रखा था। लेकिन बाद के दिनों में लगातार वो राजनीति में पिछड़ते चले गए। इससे पहले एक बार उन्होंने असम गण परिषद को छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनायी थी।

26 सीटों पर अगप लड़ रही है चुनाव: असम विधानसभा चुनाव में असम गण परिषद 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 126 सदस्यों वालें विधानसभा में बीजेपी 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं यूपीपीएल को 8 सीटे दी गयी है।