Rajasthan News: राजस्थान में इस साल के अंत में चुनाव होना है। चुनाव को लेकर काफी पहले ही बयानबाजी शुरू हो गई है। रविवार को सूबे के सीएम अशोक गहलोत ने साल 2020 में उनकी सरकार गिराने के प्रयासों के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इस दौरान उन्होंने बीजेपी के तीन नेताओं की तारीफ की।
इस लिस्ट में पहला नाम वसुंधरा राजे का था। अक्सर गहलोत और वसुधंरा के विरोधी दोनों के बीच “दोस्ती” होने का दावा करते हैं। हालांकि अशोक गहलोत के दावे के तुरंत बाद वसुंधरा राजे की तरफ से इसका खंडन किया गया। वसुंधरा राजे ने गहलोत पर अपमान करने का आरोप लगाया।
वसुंधरा राजे के अलावा जिन दो विधायकों का गहलोत ने जिक्र किया वो कैलाश मेघवाल और शोभारानी कुशवाहा हैं। इन दोनों की तरफ से अभी तक गहलोत की टिप्पणी पर कोई बयान नहीं दिया गया है। आइए आपको बताते हैं कौंन हैं कैलाश मेघवाल और शोभारानी कुशवाहा।
कैलाश मेघवाल
राजस्थान विधानसभा में सबसे सीनियर नेता हैं। वह वसुंधरा राजे के वफादार माने जाते हैं। मेघवाल सांसद, पूर्व मंत्री और कई बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह साल 2013 से साल 2018 के बीच विधानसभा के स्पीकर रहे हैं। बीते पांच सालों में मेघवाल कई बार पार्टी के रुख के विपरीत खड़े दिखाई दिए हैं।
वास्तव में, जैसा कि गहलोत ने धौलपुर में अपने भाषण के दौरान कहा था – मेघवाल ने साल 2020 में कांग्रेस सरकार के सामने आए सियासी संकट के दौरान खरीद-फरोख्त के खिलाफ बात की थी। अशोक गहलोत ने उस समय भी मेघवाल को धन्यवाद कहा था।
उस समय गहलोत का बयान बीजेपी के लिए बड़ी शर्मिंदगी की वजह बना था। तब बीजेपी ने कहा था कि गहलोत के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है कि पार्टी उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। बीजेपी ने कहा था कि यह पूरी तरह से सीएम और उनके तत्कालीन डिप्टी सचिन के बीच झगड़े की वजह से हुआ है।
बाद में फरवरी 2021 में, वसुंधरा राजे के 20 वफादार विधायकों (मेघवाल भी शामिल) ने विधानसभा की कार्यवाही में पक्षपात का आरोप लगाते हुए बीजेपी के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा था। विधायकों ने तत्कालीन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया को पत्र भेजा था। सितंबर 2021 में मेघवाल ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की धमकी दी और पूनिया और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा।
तब बीजेपी मेघवाल को हल्के में नहीं ले पाई थी। उनके वजूद को इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी ज्यादा उम्र के बाद भी राज्य में उन्होंने सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने मेघवाल के गढ़ शाहपुरा को नया जिला घोषित किया है।
शोभारानी कुशवाहा
जब अशोक गहलोत ने यह बयान दिया, तब शोभारानी कुशवानी उनके कार्यक्रम में मौजूद थीं। उनके पति बीएल कुशवाहा इलाके के प्रभावशाली नेता माने जाते थे। उन्होंने साल 2016 में एक मर्डर केस में उम्र कैद की सजा सुनाई गई। तब वे धौलपुर से बीएसपी के विधायक थे। एक साल बाद हुए उपचुनाव से पहले शोभारानी तब की सीएम वसुंधरा राजे की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गईं।
उपचुनाव में शोभारानी को जीत हासिल हुई। इसके एक साल बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की। 2022 के राज्यसभा चुनाव में, शोभारानी कुशवाहा पर कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद तिवारी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें सात साल के लिए सस्पेंड कर दिया, तब उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा था कि उनके परिवार को बर्बाद करने के बाद बीजेपी ने उन्हें साल 2017 में अप्रोच किया था।
संभवत: पार्टी छोड़ने का संकेत देते हुए कुशवाहा ने कहा, “किसी भी राजनेता का वजूद (अस्तित्व) उनके कार्यकर्ताओं से होता है और हमारे कार्यकर्ताओं ने खुद तय किया है कि वे ऐसी पार्टी में नहीं रहना चाहते हैं, जिसके राष्ट्रीय नेता अपने उम्मीदवार को हराने के लिए काम करते हैं।” रविवार को अपने भाषण में अशोक गहलोत ने कहा, “शोभारानी जी ने जब साथ दिया हमारा, बहुत बोल्डली तो भाजपा वालों की हवाईयां उड़ गईं। शोभारानी जी ने, दूसरा वसुंधरा राजे सिंधिया ने और तीसरा कैलाश मेघवाल ने।”