कैब कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। दिल्ली में लगभग 10 वर्षों से कई कंपनियां ऐप आधारित टैक्सी चला रही हैं। लेकिन अब तक इनकी सेवाओं को उपभोक्ता फोरम के अंतर्गत नहीं लाया गया है। इस वजह से यह कंपनियां मनमानी कर रही है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ। गुरुग्राम निवासी अजय ने बताया कि उनके नकद भुगतान के बाद खाते से भी पैसे काट लिए गए। एक अन्य यात्री अर्जुन ने भी इसी तरह की शिकायत की जिसमें कई बार यह कंपनिया एक यात्रा के दो बार किराया काट लेती हैं या फिर एक ही दूरी के लिए अलग-अलग व कई गुना अधिक किराया वसूलती हैं।
नोएडा से एम्स इलाज के लिए आने वाले मरीज कामेश ने बताया कि एम्स से नोएडा के लिए कैब ने उनसे 700 रुपए से अधिक वसूली की सबकि कभी-कभार वे ढाई से 300 में भी एम्स से नोएडा के बीच आए गए हैं। दिल्ली में चलने वाली ऐप आधारित कैब कंपनी का इस्तेमाल करने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों की मानें तो कई बार तो एक व्यक्ति से दो से अधिक बार पैसे ले लिए जाते हैं।
राजधानी दिल्ली में आनलाइन चलने वाली कैब कंपनियों के किराए वसूलने को लेकर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। सरकार ने अब तक इन कंपनियों के लिए कोई कानून नहीं बनाए गए हैं। समाज सेवक हरपाल सिंह राणा ने इस मामले में सरकार से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी लेकिन उन्हें संतुष्ट जवाब नहीं मिला। उन्होंने दिल्ली सरकार से इसकी शिकायत भी की है। अपनी शिकायत मे उन्होंने लिखा है कि किराए संबंधी फैसले लेने का कोई सरकारी कानून न होने से ओला, उबर और अन्य प्रकार की कैब कंपनियां सरकारी परिवहन नियमों के नियंत्रण से बाहर है। यही वजह है कि आए दिन इन कंपनियों की कथित मनमानी की शिकायतें आती हैं।