अरावली पहाड़ियों का मुद्दा राजस्थान में तेजी से फैल रहा है, लोग इन पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद कहा जा रहा कि इस नई परिभाषा से 692 किलोमीटर तक फैली पहाड़ियों में 90 फीसदी से अधिक हिस्सा खनन और कंस्ट्रक्शन की भेंट चढ़ सकता है।

बता दें कि इन पहाड़ियों का सबसे बड़ा हिस्सा करीबन 550 किलोमीटर का रेंज अकेले राजस्थान में हैं। इस कारण 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत की गई केंद्र समर्थित पैनल की नई परिभाषा से राज्य में खलबली मच गई है और वकील, समाजसेवी, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और विपक्षी नेताओं ने इसके खिलाफ अपनी आवाज मुखर कर दी है।

कई शहरों में प्रदर्शन

सोमवार को जोधपुर, उदयपुर और सीकर समेत कई शहरों में प्रदर्शन हुए, जिसमें प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक की खबर सामने आई। जोधपुर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया और कई लोगों को हिरासत में लिया। सीकर में प्रदर्शनकारियों ने अरावली पर्वतमाला के हिस्से, 945 मीटर ऊंची हर्ष पर्वत पर चढ़कर प्रदर्शन किया।

कोई भी छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं- सीएम

इस प्रदर्शन को देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने झालावाड़ में कहा कि वे अरावली की रेंज में कोई भी छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी हमला बोला, अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर सेव अरावली की फोटो डीपी पर लगाई थी।

मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि “महज अपने डीपी को ‘अरावली बचाओ’ में बदलने से जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होगा। ये सब महज दिखावा है। हमें दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करना होगा। मैं आप सभी को भरोसा दिलाता हूँ कि हम अरावली पर्वतमाला को नहीं छुएंगे और न ही वहाँ किसी प्रकार का अवैध खनन होने देंगे।”

क्या है नई परिभाषा?

इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले 27 नवंबर को रिपोर्ट किया था कि नई परिभाषा में कोई भी भू-आकृति जो स्थानीय भू-भाग से 100 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई पर है, उसे अरावली पहाड़ियों का हिस्सा माना जाएगा। इस परिभाषा के तहत अरावली पर्वतमाला के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को बाहर रखा गया है, जो खनन और निर्माण के लिए ठीक नहीं है और इसके पर्यावरणीय परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

मुद्दे को बढ़ता देख केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसे लेकर दूसरी पर सोमवार को कहा कि खनन अरावली पहाड़ियों के खनन केवल 0.19 फीसदी ही स्वीकृत की जाएगी और जब तक विस्तृत अध्ययन नहीं कर लिया जाएगा, कोई भी नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा।

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