छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान घायल होने के बाद करीब एक महीने तक कोमा में रहे सीआरपीएफ अधिकारी की मंगलवार को हैदराबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई। डिप्टी कमाडेंट बीके श्याम निवास ऑपरेशन के दौरान 11 मार्च को गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें डॉक्टरों की गहन चिकित्सा निगरानी में रखा गया था। अर्धसैनिक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुधार के संकेत मिलने के बाद, अधिकारी की मंगलवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे अस्पताल में मौत हो गई। उस समय उनके परिवार के सदस्य उनके पास थे।

निवास को उग्रवाद और नक्सल विरोधी कई सफल अभियानों का अनुभव था। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक किशोरी बच्ची और एक बेटा है। घायल होने के बाद उन्हें वायु मार्ग से सुकमा से भद्राचलम और वहां से हैदराबाद ले जाया गया था। आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के केशोगिरी के रहने वाले अधिकारी देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल में 1993 में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए थे और विभिन्न अभियानों में साहसी प्रदर्शन के कारण उन्हें समय से पहले प्रोन्नति दी गई थी। जिस घटना में निवास घायल हुए थे, वह माओवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक में हुई थी। सीआरपीएफ की 217वीं बटालियन का एक दस्ता एक निर्माणाधीन सड़क को सुरक्षित कर रहा था। उसी दौरान कुछ आइईडी बरामद हुए थे। निवास की निगरानी में बम निष्क्रिय दस्ता आइईडी को निष्क्रिय करने का प्रयास कर रहा था, उसी दौरान एक आइईडी में विस्फोट हो गया और निवास गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके साथ उनके सहयोगी और एक अन्य डिप्टी कमांडेंट प्रभाकर त्रिपाठी और हेड कांस्टेबल रंगा राघवन भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। राघवन की उसी दिन मौत हो गई थी जबकि त्रिपाठी की हालत अब स्थिर है।

सीआरपीएफ के महानिदेशक के दुर्गा प्रसाद ने दिवंगत अधिकारी को बहादुर अधिकारी बताया। उन्होंने कहा कि उनकी शहादत से परिवार और बल को अपूरणीय क्षति हुई है। बल दुख की इस घड़ी में परिवार के साथ है। सीआरपीएफ ने कहा कि निवास एक बहादुर अधिकारी थे। उन्होंने पंजाब, पूर्वोत्तर और छत्तीसगढ़ में बेहतरीन ढंग से काम किया। वह माओवादियों के खिलाफ कई सफल अभियान से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा, ‘वह ऐसे ही एक अभियान का नेतृत्व करते हुए शहीद हुए। वह अपने साथियों और अधीनस्थों के बीच काफी लोकप्रिय थे।’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में अभियान में लगे सुरक्षा बलों के लिए आइईडी एक गंभीर खतरा बन गया है। निवास की मौत इस बात का एक और उदाहरण है कि किस प्रकार माओवादी इन घातक और गुप्त बमों का उपयोग कर रहे हैं।